भारतीय सेना स्वदेशी स्तर पर एक ऐसा विश्वस्तरीय मिसाइल चाहती है जिससे दुश्मन देशों के लड़ाकू विमानों, ड्रोन और हेलीकॉप्टर्स को नेस्तनाबूद किया जा सके. इसका बीड़ा उसने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) को सौंपा है. डीआरडीओ ने इस चुनौती को स्वीकार किया है और उम्मीद है कि अगले कुछ वर्षों में ही सेना को स्वदेश निर्मित ऐसा मिसाइल मिल जाएगा.
असल में भारतीय सेना जमीन से हवा में तत्काल वार करने वाले मिसाइल (QR-SAMs) के आठ रेजिमेंट हासिल करना चाहती है. यह मिसाइल सेना द्वारा 20 किमी के हवाई इलाके तक टारगेट को मार गिराने में कारगर होने चाहिए. ये मिसाइल सोवियत संघ के जमाने के पुराने OSA-AK एयर डिफेंस सिस्टम की जगह लेंगे.
सरकार के सूत्रों ने मेल टुडे को बताया, 'डीआरडीओ को QR-SAM के विकास के लिए जो विवरण दिए गए हैं, उनमें यह कहा गया है कि सेना यह उम्मीद कर रही है कि यह स्वदेशी रिसर्च एजेंसी विदेशी निर्माताओं से बेहतर सिस्टम तैयार करेगी.'
QR-SAM सिस्टम के तहत किसी सैन्य अभियान के तहत मिसाइल भी गतिशील रहते हैं और वे दुश्मन के विमान या ड्रोन पर निगरानी रखते हुए उसे तत्काल निशाना बनाते हैं. पहले यह योजना थी कि विदेशी वेंडर सेना को तीन रेजिमेंट की आपूर्ति करेंगे ताकि उसकी तात्कालिक जरूरतों को पूरा किया जा सके और बाकी पांच रेजिमेंट का निर्माण डीआरडीओ द्वारा 'मेक इन इंडिया' के तहत स्वेदशी स्तर पर किया जाएगा. सूत्रों के अनुसार, 'डीआरडीओ द्वारा तैयार होने वाले मिसाइल में स्पीड का भी खास ध्यान रखा जाएगा. यह मिसाइल 700 से 800 मीटर प्रति सेकंड स्पीड वाली होगी.'
डीआरडीओ ने इस चुनौती को स्वीकार करते हुए एक विश्वस्तरीय एयर डिफेंस सिस्टम के विकास के लिए काम शुरू किया है और वह इस कार्यक्रम को 48 महीने के भीतर पूरा करने के लिए कठोर मेहनत कर रहा है. इस पर पिछले महीने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ होने वाली उच्चस्तरीय बैठक में भी चर्चा की गई है.