{mosimage}दुनिया का कोई ऐसा मुल्क नहीं जहां एलियन्स के वजूद को लेकर चर्चा गर्म नहीं है. नासा के कंट्रोल रूम से लेकर जापान की संसद तक औऱ इंगलैंड के खुफिया विभाग से लेकर रोमानिया की सरकार तक. हर तरफ दूसरे ग्रहों से आने वाले प्राणियों की हकीकत को लेकर उठ रहे हैं सवाल. क्या सचमुच पृथ्वी से परे भी है जिंदगी की सुगबुगाहट? क्या सचमुच वो छिप-छिप कर आते हैं हमारी धरती पर, हमारी टोह लेने ? क्या वाकई विज्ञान और तकनीक के मामले में हमसे काफी आगे हैं? जाने ऐसे कितने सवाल हैं जो एलिएन्स का नाम सुनते ही एकबारगी आपके जेहन में उठ खड़ा होते हैं? और जिसका कोई ठोस जवाब अबतक किसी के पास नहीं है. {mosimage}दुनिया में उडनतस्तरियों और दूसरे ग्रहों के लोगों को देखे जाने की बातें कई बार सामने आ चुकी है. कई बार लोगों ने इसके सबूत भी पेश किए. एलियंस कभी तस्वीरों में दिखे तो कभी एलियन का चेहरा वीडियो में भी दिखा. वैसे इस बात से पूरी तरह इनकार नहीं किया जा सकता है कि यूएफओ जैसी चीज़ कोई है ही नहीं.
एक रूसी अखबार ने अपने देश के एक चैनल पर दिखाई खबर के हवाले से छापा है कि अमेरिका के अंतरिक्ष यात्री जब चाँद पर पहुँचे थे तो उन्हें वहाँ एलियन दिखाई दिए थे, जिन्होंने अमेरिकियों को वहाँ से भाग जाने की चेतावनी दी थी. चैनल ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें दावा किया गया है कि चंद्रमा पर एलियन के कदमों के निशान हैं.
1969 से लेकर 1972 तक अमेरिका के छः अपोलो मिशन चाँद पर गए थे. रूसी अखबार प्रवादा ने शक जताया है कि चाँद पर गए सभी मिशन के दौरान वैज्ञानिकों का वास्ता एलियन से पड़ा था और नासा इस सच को लगातार छिपाता रहा है. वैसे चाँद पर एलियन होने और नासा की तरफ से इसे छुपाए जाने की खबरें पहले उड़ती रही हैं.
एलियन की मौजूदगी पर यकीन करने वालों ने इसके पक्ष में इंटरनेट पर अपनी तरफ से तमाम सबूत भी रखे हैं, लेकिन स्पूतनिक की 50वीं सालगिरह मना रहे रूस के सबसे चर्चित अखबार प्रावदा ने इसे पहली बार प्रकाशित किया है. चाँद पर अमेरिका ने 1969 से 1972 तक 12 अंतरिक्ष यात्री भेजे जबकि रूस अभी तक एक भी अंतरिक्ष यात्री चाँद पर नहीं भेज पाया है. वैसे 1972 के बाद से चाँद पर मानव के कदम नहीं प़ड़े हैं.
आरटीआर चैनल ने एलियन और यूएफओ जैसे मामलों के दो विशेषज्ञों को इस बारे में खुलासा करते दिखाया है. नासा का कहना है कि अपोलो मिशन से जु़ड़े कई दस्तावेज, तस्वीरें और फुटेज खो गई हैं जबकि चैनल ने कहा कि असलियत कुछ और है. दस्तावेज खोने की बात सीआईए का महज बहाना है. इसके मुताबिक अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों ने अपने सेंटर को जो मैसेज भेजे थे उनमें यूएफओ देखे जाने और चाँद पर कुछ उजड़ी हुई बस्तियाँ नजर आने की बात कही थी.