क्या भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में पार्टी के कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी को 2009 में ही उनकी उम्र अधिक होने के आधार पर दरकिनार करने का अभियान चल रहा है. गोवा में चल रही पार्टी की शीर्ष बैठक के दौरान गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पार्रिकर की एक टिप्पणी चार वर्ष पहले के उनके बयान की याद दिलाती है.
राजनेताओं के संन्यास लेने की उम्र 65 होने की इच्छा जताते हुए पार्रिकर ने शुक्रवार को जो टिप्पणी की है वह 2009 में आडवाणी (अब 85 वर्ष) से जुड़ी उनकी एक ऐसी ही असंगत टिप्पणी 'सड़े हुए अचार' की अगली कड़ी लगती है.
पार्टी की तीन दिवसीय शीर्ष बैठक के दौरान पार्रिकर (57) ने कहा, '65 वर्ष से अधिक उम्र के नेता संन्यास लेने को लेकर आत्ममंथन करें. आम तौर पर इसके बाद तो वे बेकार ही हो जाते हैं.'
एक स्थानीय समाचार चैनल को 2009 में दिए गए साक्षात्कार में तब पार्टी अध्यक्ष पद की होड़ में शामिल पार्रिकर ने कहा था कि आडवाणी के पास सक्रिय राजनीति के कुछ ही वर्ष शेष रह गए हैं. पार्रिकर ने तब कहा था, 'अचार का स्वाद तभी तक अच्छा रहता है जब उसे एक वर्ष तक तैयार होने के लिए रखा जाए. लेकिन जब आप उसे दो वर्ष से ज्यादा समय तक रखेंगे तो वह सड़ जाएगा. आडवाणी जी का समय कमोबेश बीत चुका है. मगर वे पार्टी सदस्यों के लिए मार्गदर्शक या परामर्शदाता बने रह सकते हैं.'
पार्रिकर का 'संन्यास की उम्र' संबंधी टिप्पणी उनकी गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को 'जादूई छड़ी' के जैसा मानने की आम धारणा का ही हिस्सा है. बीजेपी इस छड़ी का 2014 के लोकसभा चुनाव में उपयोग कर सकती है. 2014 के चुनाव की रणनीति तय करने के लिए हो रही इस महत्वपूर्ण बैठक का सुर संभवत: यही धारणा तय कर सकता है.