सरकार ने सोमवार को सरकारी क्षेत्र के बैंकों के विलय की बड़ी घोषणा की है. इसके तहत विजया बैंक, देना बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा का विलय किया जाएगा और इससे देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक अस्तित्व में आएगा. वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने राजधानी में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि तीनों बैंकों के निदेशक मंडल विलय प्रस्ताव पर विचार करेंगे. उन्होंने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में सुधार की जरूरत है और सरकार बैंकों की पूंजी की जरूरतों का ध्यान रख रही है.
राजीव कुमार ने कहा कि बैंकों के विदेशों में परिचालन को सही करने का काम जारी है. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ऐसे कदम उठाने को लेकर गंभीर है ताकि जहां तक एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट) का सवाल है तो इतिहास खुद को नहीं दोहराएगा.
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— ANI (@ANI) September 17, 2018
इस मामले में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि यूपीए सरकार ने सभी एनपीए को छिपा लिया है जिसके चलते वो कभी सामने नहीं आ सके. जेटली ने कहा कि कई बार यह पढ़ने को मिला कि वर्ष 2014 में कुल एनपीए 2.5 लाख करोड़ का था लेकिन वर्ष 2015 में जब आरबीआई ने एसेट्स की समीक्षा की तो यह बात सामने आई कि एनपीए 2.5 लाख करोड़ नहीं बल्कि 8.5 लाख करोड़ का था. यूपीए सरकार 8.5 लाख करोड़ को छिपा कर 2.5 लाख करोड़ दिखा रही थी.उन्होंने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि कुछ लोग अब अपने पाप छिपाने के लिए कहते हैं कि एनपीए 2.5 लाख करोड़ था बाद में ये बढ़ा कैसे?
बैंकों से करोड़ों का लोन लेकर फरार हुए कारोबारी
बता दें कि इसी साल फरवरी में देश के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक ने अपनी मुंबई स्थित एक शाखा में करीब 11,400 करोड़ रुपये का फ्रॉड होने की बात जाहिर की थी. हालांकि बाद में जैसे-जैसे परतें खुलीं, तो यह सामने आया कि यह घोटाला 13 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का निकला.
नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और विजय माल्या जैसे कारोबारियों द्वारा लोन लेकर देश से भाग जाने के मुद्दे पर विपक्ष लगातार मोदी सरकार को घेरती रही है और निशाना साध रही है. हालांकि मोदी सरकार का कहना है कि यह घोटाला यूपीए के समय से जारी है और एनडीए की सरकार में इसका खुलासा हुआ है. सरकार यह भी साफ कर चुकी है कि मामले के आरोपियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा.