आंकड़ों में हुई एक गड़बड़ी ने सिखों को भारतीय शहरों में सबसे बड़ा बेरोजगार धार्मिक समुदाय बना डाला.
राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के ताजा सर्वे में कहा गया कि 2004-05 और 2009-10 के बीच शहरों में सिखों के बीच बेरोजगारी बढ़ी है, जबकि ये अन्य धार्मिक समुदायों के बीच घटी है.
2004-05 में शहरी इलाकों में रहने वाले सिखों में 4.6 फीसदी लोग ही बेरोजगार थे. 2009-10 में ये आंकड़ा 6.1 फीसदी तक बढ़ गया.
इसी दौरान हिंदू और मुस्लिम समुदाय में बेरोजगारी की दर एक फीसदी गिर गई. बेरोजगारी के आंकड़ों में सबसे ज्यादा गिरावट ईसाइयों में आई. यहां बेरोजगारी 2004-05 से 2009-10 के बीच 8.6 से 2.9 फीसदी तक गिर गई.
ध्यान देने वाली बात यह है कि ऑवरऑल वर्कर पीपुल रेशियो (डब्ल्यूपीआर) की तुलना में सिख समुदाय में बेरोजगार लोगों के लिए सैंपल साइज काफी कम है. ऐसे में एनएसएसओ ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि आंकड़ों के आकलन में गड़बड़ी हो सकती है.
सरकारी सांख्यिकी संगठन 2009-10 के सर्वे में शहरों में रहने वाले सिखों में महज 47 बेरोजगार पुरुष और 23 बेरोजगार महिलाओं का ही पता लगा पाया था. ये आंकड़ा 2004-05 से काफी कम था. अन्य धार्मिक समुदायों, जहां बताया जा रहा है कि बेरोजगारी कम हुई है, में सैंपल साइज बड़ा था. 5,100 लोगों के सर्वे में सिर्फ 127 ही सिख समुदाय के थे.
गड़बड़ी के कारण ही एनएसएसओ की रिपोर्ट में कहा गया कि शहरी सिख समुदाय में सबसे ज्यादा बेरोजगार (महिलाएं और परुष दोनों) हैं.