इराक के दूसरे बड़े शहर मोसुल में एक म्यूजियम में घुसकर आईएसआईएस आतंकियों ने तीन हजार साल पुरानी कलाकृतियों और सांस्कृतिक धरोहरों को नष्ट कर दिया. गुरुवार को जब इसका वीडियो मीडिया में आया तो उसकी शुरुआत में सफेद लिबास और काला नकाब पहने एक आतंकी यह कहते हुए नजर आया कि 'अब हम जो करने जा रहे हैं, उसके लिए पैगंबर मोहम्मद ने हुक्म दिया है. हम यहां की सारी मूर्तियों को तोड़ देंगे'. और फिर हथौड़े चलना शुरू हुए. इस्लाम से पहले की सीरियाई संस्कृति के निशान बेरहमी से मिटाए गए.
खबर तो यह भी है कि पिछले हफ्ते इन्हीं आतंकियों ने मासुल की पब्लिक लाइब्रेरी में मौजूद 8000 से अधिक किताबों को आग लगा दी है. जिसमें बहुत पुरानी पांडुलिपियां और किताबें शामिल हैं. सीरिया और इराक को मिलाकर इस्लामिक खलीफत बनाने के मंसूबे सजाए आईएसआईएस इलाके में कोई भी गैर-इस्लामी संस्कृति के निशान बाकी नहीं रखना चाहता. इस्लाम के नाम पर संस्कृति की इन हत्याओं का सिलसिला बहुत पुराना है-
टिंबकटू (माली): 2013 में जब माली के उत्तरी शहर टिंबकटू पर अलकायदा के आतंकियों ने कब्जा किया, तो उन्होंने भी वहां की धरोहरों को समेटे लाइब्रेरी में आग लगा दी थी. ये वही लाइब्रेरी है, जहां अफ्रीका की सबसे पुरानी किताबें थीं, जिनमें इस विशाल महाद्वीव का इतिहास दर्ज था. अनपढ़ आतंकियों को यह भी पता नहीं था कि जिस लाइब्रेरी को वे इस्लाम का नाम लेकर आग लगा रहे हैं, वहां दुनिया की सबसे पुरानी कुरान में से एक रखी हुई थी. इस हमले के बाद फ्रांस और माली की सेना ने संयुक्त कार्रवाई की और इन आतंकियों के ठिकानों को नष्ट किया. कई लोगों की जान गई इसमें.
बामियान (अफगानिस्तान): 2001 में बुद्ध की दो विशाल प्रतिमाओं को डायनामाइट के विस्फोट से उड़ाया गया. छठी शताब्दी की ये प्रतिमाएं गांधार कला का अनूठा नमूना थी, जिन्हें पहाड़ को काटकर बनाया गया था. हालांकि, यहां कोई जातिगत संघर्ष नहीं हुआ, लेकिन कट्टरपंथ और आतंकवाद इतना बढ़ गया कि उसने दुनिया को इस देश पर हमला करने के लिए मजबूर कर दिया.
ईरान: 1990 के दशक में खुमैनी के कट्टर इस्लामी शासन के दौरान वहां मौजूद पारसी संस्कृति की विरासतों को तहस-नहस किया जाने लगा. शुरुआत पारसियों के नववर्ष नवरोज से हुई. इसे मनाने की पांबदी लगाने के अलावा हजारों वर्ष पहले यहां शासक रहे पारसी राजाओं की मूर्तियों को तोड़ा गया. जिसमें सायरस की ढाई हजार साल पुरानी मूर्ति शामिल थी. ईरान के कट्टरपंथ को काबू में करने के लिए अमेरिका और यूरोपीय देशों ने उस पर प्रतिबंध लगा रखा है.
बोस्निया: 1990 के दशक में बोस्निया-हर्जगोविना में हुए संघर्ष में सैकड़ों कैथोलिक और ऑर्थोडॉक्स चर्च तोड़ दिए गए या जला दिए गए. इसके अलावा लाइब्रेरी और म्यूजियम में आग लगा दी गई या उन्हें डायनामाइट से उड़ा दिया गया. यहां दो समुदायों का संघर्ष जब सांस्कृतिक संघर्ष बन गया तो उसमें करीब दो लाख लोगों की जान गई और 40 लाख लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा.
आईएसआईएस आतंकियों की ताजा करतूत इलाके की लड़ाई से आगे बढ़कर संस्कृति की जंग तक पहुंच रही है. और जब-जब ऐसा हुआ है, व्यापक नरसंहार और बड़ी बर्बादी सामने आई है.