अपने वैज्ञानिक सिद्धांत के लिए तीखी आलोचनाएं झेल चुके 16वीं सदी के खगोलविद निकोलस कॉपरनिकस को फिर से ‘सुपुर्द-ए-खाक’ किया गया है लेकिन इस बार एक ‘हीरो’ की तरह.
जी हां, करीब 500 साल पहले दफन किए जा चुके कॉपरनिकस को आज पोलैंड के पुजारियों ने एक ‘हीरो’ की तरह ‘सुपुर्द-ए-खाक’ किया. कॉपरनिकस को उसी कैथ्रेडल में ‘सुपुर्द-ए-खाक’ किया गया जहां उन्होंने एक चर्च कैनन और डॉक्टर के तौर पर अपनी सेवाएं दी थीं.
कैथ्रेडल में उन्हें दफनाने से संकेत मिलता है कि शांति स्थापित करने के काम में चर्च उस वैज्ञानिक के साथ कितनी दूर तक आ चुका है जिसने यह क्रांतिकारी सिद्धांत दिया कि धरती सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है.
वर्ष 1473 से 1543 तक जिंदगी जीने वाले कॉपरनिकस की मौत एक गुमनाम खगोलविद के तौर पर हुई थी. वह मौजूदा पोलैंड में ही रहते थे.
कॉपरनिकस खाली समय में अपने सिद्धांत को विकसित करने में अपना दिमाग लगाते थे. उनके सिद्धांत को चर्च की तीखी आलोचनाएं झेलनी पड़ी थी क्योंकि उन्होंने अपने सिद्वांत से धरती और मानवता को ब्रह्मांड की केन्द्रीय स्थिति से हटा दिया था.