दुर्गा शक्ति नागपाल को जिस अफसर ने चार्जशीट जारी की है, उसकी नियुक्ति को लेकर ही उत्तर प्रदेश में विवाद छिड़ा हुआ है. नियुक्ति विभाग के प्रमुख सचिव राजीव कुमार के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक याचिका पहले से दाखिल है, जिसमें सजायाफ्ता होने के कारण कोर्ट से उन्हें बर्खास्त करने की मांग की गई है.
यूपी में समाजवादी सरकार बनने के बाद प्रमुख सचिव (नियुक्ति) के पद पर राजीव कुमार को तैनात किये जाने से सरकार पर उंगलियां उठी थी. कुछ महीने बाद ही सीबीआई कोर्ट ने नोएडा प्लाट आंवटन घोटाले में राजीव कुमार को तीन साल की सजा सुना दी.
सजा सुनाने के बाद अखिलेश सरकार ने उन्हें कुछ दिनों के लिये हटा दिया, लेकिन जब राजीव कुमार अपने गिरफ्तारी से बचने के लिये हाईकोर्ट गये और स्टे लेकर आये तो सरकार ने उन्हें फिर प्रमुख सचिव (नियुक्ति) बना दिया. उन्हीं राजीव कुमार ने दुर्गा नागपाल को पहले सस्पेंशन आर्डर और फिर चार्जशीट थमाई. इसे असंवैधानिक बताते हुए नूतन ठाकुर के वकील अशोक पांडे ने इसे कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है.
जब राजीव कुमार को दोबारा इस पद पर तैनात किया गया, तब सभी लोग इस बात से हैरान थे कि पारदर्शिता की बात करने वाले मुख्यमंत्री आखिर इस भ्रष्ट अफसर पर इतने मेहरबान क्यों हैं. इन लोगों को कहना था कि भले ही राजीव कुमार को कोर्ट से स्टे मिला हो मगर उन्हें बेदाग साबित नहीं किया गया है. ऐसे में एक दागी अधिकारी प्रदेश के सभी अफसरों को कैसे तैनात कर सकता है.
इस मामले को लेकर एक पत्रकार ने 14 जनवरी 2013 को लखनऊ बेंच में एक याचिका दाखिल की और सरकार ने कोर्ट से इस याचिका को खारिज करने की मांग की. मगर 16 जनवरी को अदालत ने केन्द्र ओर राज्य सरकार दोनों को इस मामले में नोटिस जारी कर दिया.