लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहा है, वैसे-वैसे पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप लगाने का सिलसिला तेज करती जा रही हैं. राफेल मामले पर कांग्रेस और उसके अध्यक्ष राहुल गांधी लंबे समय से केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोल रहे हैं. एक बार फिर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर राफेल विमान सौदे में देश के साथ समझौता करने का आरोप लगाया. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी की राफेल मामले पर जेपीसी जांच की मांग सही है क्योंकि इस मसले पर कोर्ट नहीं बल्कि संसदीय समिति ही जांच कर सकती है.
कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मीडिया में उस रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि सौदे में भारतीय वायु सेना (आईएएफ) उनकी जरूरत के 90 विमान से वंचित करते हुए सरकारी खजाने से दसॉ कंपनी को हर विमान पर 186 करोड़ रुपये का मुनाफा दिया गया. 2015 में 36 जेट लड़ाकू विमान को लेकर दिए गए ऑर्डर में प्रति विमान 41 फीसदी अधिक कीमत पर करार किया गया.
पी चिदंबरम की टिप्पणी के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ट्वीट कर अपना जवाब देते हए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राफेल की कीमतों की जांच की है. CAG भी इसकी जांच कर रहा है.
The new Article on Rafale is based on fudged arithmetic - ignore the escalation of the 2007 non-deal offer and compare it with the 2016 price and invent a scam.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) January 18, 2019
The Supreme Court has examined the prices. The CAG is examining the same. The fudged arithmetic of a compulsive contrarian can hardly be objective.
— Arun Jaitley (@arunjaitley) January 18, 2019
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपीए सरकार के दौरान के सौदे को रद्द करके 2015 में जब नए सौदे की घोषणा की तभी से एक सवाल बना हुआ है कि मोदी सरकार ने वायु सेना की 126 विमानों की जरूरतों को खत्म करके सिर्फ 36 राफेल विमान खरीदने का फैसला क्यों लिया.
चिदंबरम ने आगे कहा कि इस सवाल का जवाब कभी किसी ने नहीं दिया, चाहे प्रधानमंत्री हों या रक्षा मंत्री (निर्मला सीतारमण), वित्त मंत्री (अरुण जेटली) या कानून मंत्री (रविशंकर प्रसाद). सभी ने किसी न किसी प्रकार से सिर्फ राफेल सौदे का बचाव किया.
भारतीय वायु सेना (आईएएफ) की मांग पर 13 इंडिया स्पेसिफिक एन्हेंसमेंट (भारत केंद्रित सुधार) का जिक्र करते हुए पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने कहा कि सौदे की कीमत करीब 1.3 अरब यूरो थी, जिसका भुगतान यूपीए और मोदी के सौदे दोनों में किया जाना था. उन्होंने कहा कि अगर 126 विमान खरीदे जाते तो दसॉ को साढ़े दस साल से अधिक अवधि में 1.4 अरब यूरो प्राप्त होता, लेकिन इस नए सौदे में महज 36 विमान खरीदे जा रहे हैं और इसकी प्राप्ति 36 महीनों में होंगी.
उन्होंने कहा कि दसॉ कंपनी को दो तरफ से फायदा हुआ. पहला तो प्रति विमान कीमत बढ़ गई और दूसरा अब सरकार फिर 90 विमानों का ऑर्डर देगी तो दसॉ फिर भारत केंद्रित सुधार की कीमत वसूलेगा. मोदी सरकार ने देश के साथ दो तरह से नुकसान पहुंचाया है. पहला, भारतीय वायुसेना को 90 विमानों से वंचित किया जिसकी उसे सख्त जरूरत है और दूसरा यह कि हर विमान पर 2.5 करोड़ यूरो यानी 186 करोड़ रुपये अधिक खर्च कर सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ाया.