इस बात की संभावना बहुत ही कम है कि लोकसभा में किसी कांग्रेसी सांसद को नेता विपक्ष का पद मिलेगा. यह पद पाने की पार्टी की चाल असफल हो गई दिखती है. एक अंग्रेजी पत्र ने यह खबर दी है.
पत्र के मुताबिक पिछले हफ्ते लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने स्पीकर सुमित्रा महाजन को 60 सांसदों के हस्ताक्षरयुक्त पत्र भिजवाया था और इस पद पर अपना दावा पेश किया था. लेकिन सरकार इस मामले में तनिक झुकती नजर नहीं आ रही है. उसने न केवल यह पद कांग्रेस को देने से इनकार कर दिया है बल्कि लोकसभा के उपाध्यक्ष का पद भी उसे न देने का मन बना लिया है. सरकार का कहना है कि यह परंपरा भर है और वह किसी भी दल को यह पद दे सकती है. समझा जाता है कि यह महत्वपूर्ण पद अन्ना द्रमुक के खाते में जा सकता है.
सरकारी सूत्रों ने पत्र को यह बताया है कि ऐसा कोई नियम नहीं है कि सरकार कांग्रेस को यह पद देने को बाध्य हो. नियमों के मुताबिक सरकार न चाहे तो यह पद कांग्रेस को नहीं दे सकती है.
सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह कांग्रेस के साथ उदारता अपनी शर्तों पर दिखाएगी. वह अपने हिसाब से यह काम करेगी. हो सकता है वह कांग्रेस को अतिरिक्त समिति की अध्यक्षता दे सकती है या संसदीय दल में से एक-दो में जगह दे सकती है.
कांग्रेस की समस्या है कि गैर यूपीए दलों के लिए यह कोई मुद्दा ही नहीं है. तृणमूल और अन्नाद्रमुक ने यह संकेत दे दिया है कि यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है. यही हाल बीजू जनता दल का है. ज़ाहिर है सरकार इस मुद्दे पर फैसला अपने हिसाब से लेगी.