राजनीति में धर्म का बेजा इस्तेमाल इन दिनों बहस का विषय बनता जा रहा है और लोग इससे नाराज़ हैं और उनका कहना है कि इसके लिए कांग्रेस ही मुख्यरूप से जिम्मेदार है.
आज तक ने अपने पाठकों से पूछा था कि राजनीति में धर्म के धंधेबाज कौन हैं? हमने यह प्रश्न तालकटोरा स्टेडियम में 14 दलों के नेताओं की तथाकथित सेक्युलरिज्म पर हुई बैठक के मद्देनज़र पूछा था.
पाठकों में से 68.9 फीसदी पाठकों ने कहा कि इसके लिए कांग्रेस ही जिम्मेदार है, जबकि नरेन्द्र मोदी को महज 9.3 फीसदी लोगों ने जिम्मेदार माना है. बीजेपी को जिम्मेदार मानने वालों का प्रतिशत तो और भी कम है. सिर्फ 4.1 फीसदी लोग इसके लिए बीजेपी को जिम्मेदारी मानते हैं. तीनों को जिम्मेदार मानने वाले 17.7 फीसदी लोग हैं.
यानी ये लोग मानते हैं कि सभी पार्टियां और नेता इसके लिए जिम्मेदार हैं. लेकिन बड़ी संख्या में लोगों ने इसके लिए कांग्रेस को ही जिम्मेदार माना है.
एक पाठक ने लिखा है कि जातिवाद इससे भी बड़ी समस्या है और जिस दिन इसका खात्मा हो जाएगा, ये 14 दल ही खत्म हो जाएंगे. एक पाठक ने लिखा है कि इस समय कांग्रेस सबसे घटिया राजनीति कर रही है, जबकि एक अन्य ने लिखा कि यह पार्टी सत्ता में आने के लिए कुछ भी कर सकती है.
एक पाठक ने बड़ा सवाल उठाया है कि ये धर्म निरपेक्ष पार्टियों कभी आतंकवाद या आतंकवादियों के बारे में बात क्यों नहीं करते ? एक पाठक ने लिखा है कि ये 14 पार्टियां कभी भी सफल सरकार नहीं बना सकेंगी, जबकि एक अन्य पाटक ने तो इन्हें देश का दुश्मन ही बता दिया.
एक पाठक ने तो लिखा है कि कांग्रेस और कुछ अन्य पार्टियां धार्मिक तुष्टिकरण करती हैं और जिस दिन वे इसे बंद कर देंगी उस दिन धर्म की राजनीति खत्म हो जाएगी.