दिल्ली की कई दिक्कतों का ठीकरा दूसरे राज्यों से आए लोगों के सिर फूटता है, लेकिन बीते चार-पांच साल से बाहर से दिल्ली आने वाले लोगों की दर यानी माइग्रेशन की दर स्थिर हो गई है.
2001 के बाद से माइग्रेशन बढा़, लेकिन 2007 से 2011 के बीच यह रेट स्थिर हो गई, यानी अब कम लोग काम धंधे या रोजी रोटी के लिए दिल्ली आ रहे हैं. यह जानकारी असेंबली में पेश दिल्ली के इकोनॉमिक सर्वे में दी गई है.
आने वालों में यूपी के लोग सबसे आगे
दूसरे राज्यों से दिल्ली आने वालों की बात करें, तो सबसे ज्यादा 43 फीसदी माइग्रेशन यूपी से हुआ. इसके बाद 14 फीसदी बिहार से और 11 फीसदी लोग हरियाणा से आए. यूपी और बिहार से आने वाले अब दिल्ली की राजनीति पर असर डालने लगे हैं. इन्हें वोट बैंक माना जाने लगा है. वैसे अब सभी मानते हैं कि दिल्ली सबकी है और सबको यहां रहने कमाने का बराबर हक है.
अमीर है साड्डी दिल्ली
इकोनॉमिक सर्वे में बताया गया है कि दिल्ली में 91 फीसदी लोगों के पास पक्का घर है और 81 फीसदी लोगों के घर में नल से पानी की सप्लाई होती है. तरक्की के साथ वाहन भी बेतहाशा बढ़े. 2000 से 2012 के बीच कार जीप 168 फीसदी, बाइक स्कूटर 124 फीसदी और टैक्सी 700 फीसदी बढ़ गई. हर हजार लोगों पर दिल्ली में 253 गाडि़यां हैं. अगर आपको दिल्ली के ट्रैफिक जाम में फंसना पड़ता है, तो इसका कारण आप समझ रहे होंगे.
मालामाल हो गई सरकार
दिल्ली सरकार की कमाई भी तेजी से बढी़ है. 2010-11 के मुकाबले 2011-12 में टैक्स से कमाई 21 फीसदी बढ़ी. कमाई में सबसे ज्यादा इजाफा स्टाम्प और रजिस्ट्रेशन की मद में हुआ. जीडीपी 2010-11 में दो लाख 61 हजार करोड़ थी, जो अब तीन लाख 65 हजार करोड़ रुपये हो गया है. यह 17 फीसदी की बढो़तरी है.