केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय की ओर से 250 महिलाओं को कमर्शियल मोटर ड्राइविंग की ट्रेनिंग की शुरुआत भी अपनी एक साल की सफलता में जोड़ कर देख रहा है. सबसे पहले इसे दिल्ली में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया जा रहा हैं.
नेशनल सफाई कर्मचारी फाइनेंस एंड डेवलपमेट कॉर्पोरेशन की ओर से महिलाओं को स्वावलंबी, आत्मनिर्भर बनाने के लिए 250 लड़कियों को कमर्शियल मोटर ड्राइविंग के लिए चुना गया है. केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय के तहत आने वाले इस कॉर्पेोरेशन के जरिए मोदी सरकार के वादों और साथ ही एक साल में हुई उपलबिधयों को भी पूरा करने की कोशिश की जा रही हैं. खुद सामाजिक न्याय मंत्री भी इस बात को मानते हैं.
केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि मई से पहले शुरुआत की है और मई महीने में फिर इसकी चर्चा करेंगे. दिल्ली में ये प्रोजेक्ट एक पायलट के रूप में शुरू किया गया है. इसकी सफलता के बाद इसे कोलकाता, पुणे, चंडीगढ, मुंबई, बंगलुरु में भी शुरू किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट से जुड़ी कुछ खास बाते हैं:
1. इसमें लडकियों को 7 महीने की कर्मिशियल वाहन जैसे बस, टैक्सी चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी, इनकी उम्र 17 से 40 साल के बीच होनी चाहिए.
2. इन्हें सफाई कर्मचारी परिवार से होना जरूरी हैं. हर महीने इनहें 1500 रुपये मिलेंगे और सबसे खास बात अपनी सुरक्षा और मानसिक शांति के लिए इन्हें जूडों-कराटे और योग की भी ट्रेनिंग दी जाएगी.
इस समारोह में दिल्ली में डीटीसी बस चलाने वाली पहली महिला सरिता को भी विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया. उन्होने यहां आकर लडकियों का साहस बढ़ाया. इस प्रोजक्ट के जरिए एक तीर से दो निशाने का ही काम किया गया है, एक तरफ महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का मोदी का वादे की शुरुआत और दूसरी तरफ एक साल में अपने किए जाने वाले कामों की सूची लंबी करना है, लेकिन देखना यही है कि बसे मे महिला स्टाफ की नियुक्त देश मे निर्भया और मोगा कांड पर अंकुश लग पाएगा.