नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) पर देशभर में मचे घमासान के बीच मोदी सरकार नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर(NPR) की ओर कदम बढ़ा रही है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसके लिए कैबिनेट से 3,941 करोड़ रुपये की मांग भी की है. एनपीआर का उद्देश्य देश के सामान्य निवासियों का व्यापक पहचान डेटाबेस बनाना है. इस डेटा में जनसांख्यिंकी के साथ बायोमेट्रिक जानकारी भी होगी.
हालांकि, CAA और NRC की तरह गैर-बीजेपी शासित राज्य इसका भी विरोध कर रहे हैं और इसमें सबसे आगे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं. CAA और NRC को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वालीं ममता बनर्जी ने तो बंगाल में एनपीआर पर जारी काम को भी रोक दिया है.
इसके अलावा केरल की लेफ्ट सरकार ने भी एनपीआर से संबंधित सभी कार्यवाही रोकने का आदेश दिया है. मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि सरकार ने एनपीआर को स्थगित रखने का फैसला किया है क्योंकि आशंका है कि इसके जरिए एनआरसी लागू की जाएगी.
Kerala Govt. Orders stay of all proceedings relating to National Population Register (NPR) in the wake of the Citizenship Amendment Act, 2019#CitizenshipAmmendmentAct #NRC#NPR pic.twitter.com/um6I0WU4CL
— Live Law (@LiveLawIndia) December 20, 2019
क्यों विरोध कर रहीं ममता बनर्जी
ममता बनर्जी पहले यह लगातार कहती रही हैं कि वो अपने राज्य में एनआरसी और नागरिकता संशोधन क़ानून लागू नहीं होने देंगी, लेकिन उन्होंने एनपीआर को लेकर भी अपना रुख साफ कर दिया है. दरअसल, घुसपैठ की समस्या असम से ज्यादा पश्चिम बंगाल में है. 1971 में बांग्लादेश के गठन के साथ ही वहां से बड़ी संख्या में लोग यहां आए.
इन लोगों में एनआरसी को लेकर तो पहले से ही डर था और नागरिकता संशोधन कानून ने उनके खौफ को और बढ़ा दिया है. वहीं एनपीआर को लेकर उनके मन में पहले से डर है. नागरिकता संशोधन कानून लागू होने से जो डर मुसलमानों को है वही डर यहां के लोगों को भी है. उन्हें खौफ है कि उन्हें यहां से निकाल दिया जाएगा. इन्हीं लोगों के समर्थन में ममता बनर्जी खड़ी हैं और यही कारण है कि ममता बनर्जी ने एनपीआर का काम रोकवा दिया है.
एक अप्रैल 2020 से सर्वे
आजादी के बाद 1951 में पहली जनगणना करवाई गई. प्रत्येक 10 साल में होने वाली जनगणना अब तक 7 बार करवाई जा चुकी है. अभी 2011 में की गई जनगणना के आंकड़े उपलब्ध हैं और 2021 की जनगणना पर काम जारी है. इसे तैयार करने में करीब तीन साल का समय लगता है. इसकी प्रक्रिया तीन चरणों में होगी.
पहले चरण यानी अगले साल एक अप्रैल 2020 लेकर से 30 सितंबर के बीच केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी घर-घर जाकर आंकड़े जुटाएंगे. जनगणना का दूसरा चरण 2021 में 9 फरवरी से 28 फरवरी के बीच पूरा किया जाएगा. 1 मार्च से 5 मार्च के बीच संशोधन की प्रक्रिया होगी.
क्या है एनपीआर
NPR देश के सभी सामान्य निवासियों का दस्तावेज है और नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों के तहत स्थानीय, उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है. कोई भी निवासी जो 6 महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में निवास कर रहा है तो उसे NPR में अनिवार्य रूप से पंजीकरण करना होता है. 2010 से सरकार ने देश के नागरिकों की पहचान का डेटाबेस जमा करने के लिए इसकी शुरुआत की. इसे 2016 में सरकार ने जारी किया था.