भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक वेंकटरमन रामकृष्णन को रसायन शास्त्र के क्षेत्र में नोबेल दिए जाने की घोषणा की गई है. वेंकटरमन को नोबेल पुरस्कार दो अन्य वैज्ञानिक थॉमस ए. स्तेज और आदा ई. योनाथ के साथ दिया जाएगा. वेंकटरमन सहित दो अन्य वैज्ञानिकों को उनके अध्ययन 'स्ट्रकचर एंड फंक्शन ऑफ राइबोसोम' के लिए दिया जाएगा.
तमिलनाडु के रहने वाले हैं वेंकटरमन
वेंकटरमन रामकृष्णन का जन्म 1952 में तामिलनाडु के चिदांबरम में हुआ था. 1976 में उन्होंने ओह्यो विश्वविद्यालय से भौतिकी में पीएच डी की उपाधि प्राप्त की. वे ब्रिटेन के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं. रामकृष्णन ने बड़ौदा विश्वविद्यालय से 1971 में भौतिकी विज्ञान में बीएससी की उपाधि प्राप्त की थी और उन्होंने 1976 में इसी विषय में ओहियो विश्वविद्यालय से पीएचडी की. इसके बाद उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में एक साल अध्यापन का कार्य किया और फिर एक मेम्ब्रेन बायोकेमिस्ट डा मॉरीकियो मोंटल के साथ शोध किया.
मानव को रोगों से बचाने का प्रयास है ये शोध
नोबेल समिति ने अपनी प्रशस्ति में कहा है, ‘‘इस साल वेंकटरमण रामकृष्णन, थॉमस ए. स्टेइत्ज और अदा ई योनथ को रसायन विज्ञान के लिये नोबेल पुरस्कार दिया जा रहा है. उन्होंने यह पता लगाया है कि रीबोजोम कैसा दिखाई देता है और परमाणविक स्तर पर यह कैसे कार्य करता है. इन तीनों ने रीबोजोम को बनाने वाले सैकड़ों हजारों परमाणुओं में से हरेक की स्थिति को मापने के लिये ‘एक्स रे क्रिस्टलोग्राफी’ पद्धति का इस्तेमाल किया. प्रशस्ति में बताया गया है, ‘‘इन तीनों ने थ्रीडी मॉडल तैयार किया, जो यह बताता है कि रीबोजोम से एंटीबॉयटिक किस तरह से जुड़े हुए हैं. अब इन नये मॉडलों का इस्तेमाल नये एंटीबॉयटिक्स का विकास करने में किया जा रहा है. प्रत्यक्ष तौर पर जीवन की रक्षा करने और मानव को बीमारियों से बचाने की दिशा में प्रयास है.