पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिक ए क्यू खान की चिट्ठी से हुए खुलासे के बाद चीन ने सफाई दी है कि पाकिस्तान को एटमी बम बनाने के लिए यूरेनियम चीन ने नहीं दिए. दुनिया में परमाणु प्रसार में चीन का हाथ कभी नहीं रहा.
परमाणु प्रसार में शामिल नहीं चीन!
इससे पहले पाक के वैज्ञानिक ए क्यू खान की चिट्ठी से खुलासा हुआ था कि चीन औऱ पाकिस्तान के बीच परमाणु लेनदेन था. अब पाकिस्तान के कुख्यात परमाणु वैज्ञानिक ए क्यू खान के खतों के खुलासे से चीन ने साफ पल्ला झाड़ लिया है. दुनिया की 5 मान्यता प्राप्त परमाणु ताकतों में एक चीन ने कहा है कि वो कभी परमाणु प्रसार में शामिल नहीं रहा है.
मामले से चीन ने झाड़ा पल्ला
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता जियांग यू ने ये दावा अब्दुल कदीर खान के इस खुलासे के कुछ दिनों बाद किया है, जिसमें कहा गया था कि पाकिस्तान ने परमाणु बम के ब्लू प्रिंट के बदले में चीन की संवर्द्धन प्रौद्योगिकी में मदद की थी. चीन की आधिकारिक संवाद समिति शिन्हुआ के मुताबिक ए क्यू खान के खुलासे पर प्रतिक्रिया मांगे जाने पर बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता जियांग यू ने कहा कि चीन किसी भी रूप में परमाणु हथियारों के प्रसार के खिलाफ है. अप्रसार संधि के सदस्य तौर पर चीन ने हमेशा अप्रसार के मुद्दे पर अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का कड़ाई से पालन किया है.
अखबार ने किया था खुलासा
गौरतलब है कि पिछले दिनों ब्रिटेन के अखबार संडे टाइम्स में ए क्यू खान का 4 पेज वाला गोपनीय खत प्रकाशित हुआ था, जिसे उन्होंने अपनी डच पत्नी को लिखा था. इस खत के सामने आने से खुलासा हुआ कि पाकिस्तान को परमाणु बम के लिए यूरेनियम चीन ने मुहैया कराया था, जबकि पाकिस्तान ने चीन के हॉनझॉन्ग में सेन्ट्रीफ्यूज प्लांट लगाया.
अमेरिका का पता थी खान की गतिविधि
दूसरी ओर नेशनल मेरीटाइम फाउंडेशन के निदेशक सी. उदय भास्कर का मानना है कि अमेरिका को पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिक ए. क्यू. खान और उनकी गतिविधियों के बारे में दशकों पहले पता था, लेकिन उसने कार्रवाई करना ठीक नहीं समझा.