दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल बेंच द्वारा आईटीओ स्थित हेराल्ड हाउस खाली करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एसोसिएट जनरल लिमिटेड (AJL) ने यंग इंडियन को सोच समझकर मुनाफे को ध्यान में रखते हुए शेयर ट्रांसफर किए गए थे. उन्होंने हाईकोर्ट में कहा कि हेराल्ड हाउस में कई सालों तक AJL ने अखबार नहीं चलाया.
दिल्ली हाईकोर्ट ने 21 दिसंबर को अपने आदेश में नेशनल हेराल्ड अखबार के 56 साल पुराने दफ्तर हेराल्ड हाउस को खाली करने का निर्देश दिया था. दरअसल केंद्रीय शहरी मंत्रालय ने आईटीओ स्थित हेराल्ड हाउस को 30 अक्टूबर, 2018 को खाली करने का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ AJL ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. लेकिन हाईकोर्ट की सिंगल बेंच से भी राहत नहीं मिली. बता दें कि हेराल्ड हाउस बिल्डिंग से AJL तीन अखबार का प्रकाशन करती है. जिसमें अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज नाम से अखबार छपते हैं.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बहस के दौरान कोर्ट में कहा कि यंग इंडिया कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की है. AJL का शेयर इसलिए ट्रांसफर किया गया ताकि इसके किराए से करोड़ों रुपये की कमाई की जा सके. तुषार मेहता ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी द्वारा हेराल्ड हाउस को हड़पने के लिए ही यंग इंडिया कंपनी बनाई गई.
तुषार मेहता ने कहा कि 2008 में नेशनल हेराल्ड अखबार को भी बंद कर दिया गया और इसके बाद वहां के कर्मचारियों को भी बाहर कर दिया गया. मेहता ने कहा कि 2008 में नेशनल हेराल्ड अखबार के बंद होने के साथ ही उन शर्तों का उल्लंघन हुआ जिनके तहत अखबार चलाने के लिए यह जमीन लीज पर दी गई थी. कोर्ट ने अब आगे की सुनवाई के लिए 18 फरवरी की तारीख तय की है.
वहीं AJL ने सोमवार को अपना पक्ष रखते हुए कहा कि 56 साल पुरानी लीज को राजनैतिक दुर्भावना से रद्द किया गया. साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के फैसले में कई खामियां भी AJL द्वारा कोर्ट को बताई गई. एसोसिएट जनरल की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि 2016 में ही नेशनल हेराल्ड का डिजिटल वर्जन शुरू कर दिया गया था और अभी भी हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी में कुछ पत्रिकाएं और कुछ वेबसाइट चलाई जा रही हैं. जबकि लीज यह कहकर खारिज की गई कि यहां पर प्रिंटिंग का काम नहीं हो रहा है. जबकि आसपास की कई इमारतों में चल रहे अखबारों में अभी प्रिंटिंग का काम नोएडा या आसपास की किसी और जगह से होता है. लेकिन हमारे अलावा किसी और की लीज खारिज नहीं की गई.