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भूमि अधिग्रहण को लेकर हो रहे खून-खराबे के लिये केन्द्र जिम्मेदार: मायावती

अलीगढ़ और आगरा में भूमि के मुआवजे के लिये आंदोलनरत किसानों और पुलिस के बीच हुए हिंसक संघर्ष में तीन किसानों की मौत के बाद विपक्षी दलों की आक्रामक आलोचनाओं के बीच उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने देश के किसी भी भाग में किसानों की भूमि के अधिग्रहण को लेकर होने वाले विवादों के लिये कांग्रेस पार्टी को जिम्मेदार ठहराया है.

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अलीगढ़ और आगरा में भूमि के मुआवजे के लिये आंदोलनरत किसानों और पुलिस के बीच हुए हिंसक संघर्ष में तीन किसानों की मौत के बाद विपक्षी दलों की आक्रामक आलोचनाओं के बीच उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने देश के किसी भी भाग में किसानों की भूमि के अधिग्रहण को लेकर होने वाले विवादों के लिये कांग्रेस पार्टी को जिम्मेदार ठहराया है.

मायावती ने आज यहां जारी बयान में कहा है कि प्रदेश ही नहीं देश में कहीं भी किसानों की भूमि अधिग्रहण को लेकर हो रहे विवादों एवं खून-खराबे के लिये कांग्रेसनीत केन्द्र सरकार ही जिम्मेदार है ,जिसने आजादी के 63 साल बाद भी 1894 में अंग्रेजों के बनाये भूमि अध्याप्ति अधिनियम में परिवर्तन नहीं किया है.

उन्होंने संप्रग सरकार को निशाने पर लेते हुए वर्ष 2005 में विशेष आर्थिक परिक्षेत्र (सेज) की स्थापना के लिये लागू कानून को तानाशाहीपूर्ण कदम बताते हुए कहा है कि इसी कानून के तहत देश के अनेक भागों में किसानों को उचित मुआवजा दिये बिना उनकी उपजाऊ जमीन का अधिग्रहण हो रहा है, जिससे अनेक राज्यों में किसानों के उग्र आंदोलन होते रहे हैं.

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भाजपा और कांग्रेस को किसानों के हितों की कीमत पर बड़े पूंजीपतियों और औद्योगिक घरानों का हितैषी करार देते हुए मायावती ने कहा है कि अधिकांश सेज की स्थापना कांग्रेस अथवा भाजपा शासित राज्यों में ही हुई है.{mospagebreak}
अलीगढ़ और मथुरा में अधिगृहीत भूमि के लिये किसानों के आंदोलन में हुई हिंसक घटनाओं पर दु:ख जताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा है कि उनकी सरकार किसी भी कीमत पर किसानों के हितों की अनदेखी नहीं होने देगी और इसी लिए कल देर रात्रि सरकार के दो वरिष्ठ मंत्रियों ,मंत्रिमण्डलीय सचिव और एडीजी (कानून व्यवस्था) ने अलीगढ़ में किसान प्रतिनिधियों से वार्ता की और उनकी अधिगृहीत भूमि के मुआवजे में 121 रपए प्रति वर्ग मीटर की बढ़ोत्तरी करते हुए उसे 570 रुपये प्रति वर्ग मीटर कर दिया है.

उन्होंने दोहराया है कि उनकी सरकार ने न सिर्फ मुआवजे की राशि बढ़ा दी है , बल्कि यह भी घोषणा की है कि इस पर भी जो किसान अपनी जमीन न देना चाहें उनकी जमीन न ली जाय और जो अपनी जमीन वापस लेना चाहें उन्हें उनकी जमीन बाइज्जत वापस कर दी जाय.

मायावती ने कहा है कि भूमि अधिग्रहण कानून में आवश्यक संशोधन किये जाने में केन्द्र सरकार की तरफ से हो रही देरी के मद्देनजर उनकी सरकार ने भूमि अधिग्रहण संबंधी मामलों के त्वरित निस्तारण के लिये आज से एक नयी व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया है.{mospagebreak}
इसके तहत अधिग्रहण से पहले और बाद में तहसील, जिला, मण्डल और राज्य हर स्तर पर किसानों की बात सुनने और आम सहमति न बनने की स्थिति में विवादों को सुलझाने के लिये दो स्तरों पर कमेटी बनायी जायेगी.

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उन्होंने बताया है कि मण्डल स्तर पर मण्डलायुक्त की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति होगी, जिसमें संबद्ध जिले का जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, संबद्ध तहसील के उप-जिलाधिकारी और पुलिस उपाधीक्षक तथा जिस विभाग के लिये जमीन ली जा रही है उसके जनपद एवं मण्डल स्तर अधिकारी सदस्य होंगे.

उन्होंने बताया कि इसी तरह प्रदेश के प्रमुख सचिव फतेहबहादुर की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय कमेटी का गठन किया गया है, जिसमें मुख्यमंत्री सचिवालय में प्रमुख सचिव दुर्गाशंकर मिश्र और आरपी सिंह तथा सचिव अनिल सन्त सदस्य होंगे और यह कमेटी उन मामलों को देखेगी, जिनका निराकरण मण्डलायुक्त स्तर पर नहीं हो सकेगा.

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