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सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ केस की जांच सीबीआई करेगी

नरेंद्र मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. गुजरात के विवादास्पद सोहराबुद्दीन मुठभेड़ कांड की जांच अब सीबीआई करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस मामले की जांच सीबीआई के हवाले करने के निर्देश दिए.

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नरेंद्र मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. गुजरात के विवादास्पद सोहराबुद्दीन मुठभेड़ कांड की जांच अब सीबीआई करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस मामले की जांच सीबीआई के हवाले करने के निर्देश दिए.

न्यायमूर्ति तरूण चटर्जी और न्यायमूर्ति आफताब आलम की पीठ ने गुजरात पुलिस के साथ कथित फर्जी मुठभेड़ में मारे गए सोहराबुद्दीन शेख के भाई की याचिका के आधार पर इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग स्वीकार कर ली. उच्चतम न्यायालय के इस फैसले से गुजरात की भाजपा सरकार को एक बड़ा झटका लगा है जो लगातार यह कहती रही है कि उसका विशेष जांच दल (एसआईटी) निष्पक्ष ढंग से इस मामले की जांच कर रहा है.

करीब चार साल पहले जब सोहराबुद्दीन का एनकाउंटर हुआ था उस वक्त दावा किया गया था कि वो मुख्यमंत्री मोदी की हत्या की साजिश रच रहा था लेकिन सोहराबुद्दीन के परिवार वालों ने जब अदालत का दरवाजा खटखटाया तो इस मामले में गुजरात पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े हो गए.

26 नवंबर 2005 को सनसनीखेज खबर आई गुजरात पुलिस के आतंकवाद निरोधी दस्ते और राजस्थान पुलिस ने एक मुठभेड़ में लश्कर के आतंकी सोहराबुद्दीन शेख को मार गिराया है. गुजरात पुलिस ने दावा किया कि सोहराबुद्दीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रच रहा था. लेकिन सोहराबुद्दीन के घरवालों की नजर में एनकाउंटर फर्जी था. शक इसलिए भी बढ़ा क्योंकि सोहराबुद्दीन की पत्नी कौसर बी और उनके दोस्त तुलसीराम प्रजापति का कहीं अता-पता नहीं था. मामले ने तूल पकड़ा.

सोहराबुद्दीन शेख़ के भाई रबाबुद्दीन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया. सुनवाई शुरू हुई और सच्चाई परत-दर-परत सामने आती चली गई. जांच में पता चला कि सोहराबुद्दीन मुठभेड़ कांड के दो दिन बाद ही कौसर बी और तुलसीराम प्रजापति को भी मार दिया गया था. कोर्ट में गुजरात सरकार को मानना पड़ा कि मुठभेड़ फर्जी थी.

इतना बड़ा खुलासा होने के बाद भला वो अधिकारी कैसे बच सकते थे, जिन्होंने इस फर्जी मुठभेड़ को अंजाम दिया था. मुठभेड़ की अगुवाई करने वाले डीआईजी डीजी वंजारा, एसपी राजकुमार पांडियन और एसपी एम एन दिनेश को गिरफ्तार कर लिया गया और वो अब भी जेल में हैं. इसके अलावा दस अन्य लोग भी आरोपी हैं.

फैसले का दिन आ गया है. तेरह आरोपियों के अलावा गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ये भी ये अहम है क्योंकि पिछले साढ़े चार साल से ये मुद्दा सियासी रंग भी ले चुका है.

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