सीबीआई आंतरिक भ्रष्टाचार के बारे में जानकारी के प्रसार को रोकने के लिए आरटीआई कानून के तहत उसके ही अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों का विवरण सार्वजनिक करना बंद करना चाहती है जो फिलहाल इस कानून के तहत प्राप्त किया जा सकता है.
एजेंसी केंद्रीय सूचना आयोग के उस आदेश को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती देगी जिसमें उसके अधिकारियों विवेक दत्त और राजेश कर्नाटक के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया गया है. दोनों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं. आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल ने इन अधिकारियों के खिलाफ आरोपों की जानकारी मांगी थी. ये अधिकारी कोयला घोटाले के मामले में सीबीआई की जांच में शामिल थे और इन्हें अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए कथित तौर पर एक कारोबारी को फायदा पहुंचाने के लिए उससे रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया था.
डीआईजी अरण बोथरा ने अग्रवाल को दिये संदेश में कहा, 'आपको सूचित किया जाता है कि सीबीआई सीआईसी के आदेश के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय में अपील दाखिल करने जा रही है.' केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को संप्रग सरकार ने आरटीआई कानून के तहत छूट प्रदान की थी. संप्रग सरकार इसे आरटीआई कानून की धारा 24 के दायरे में लाई थी जिसमें आरटीआई कानून के प्रावधानों से छूट प्राप्त सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां सूचीबद्ध हैं. हालांकि इसमें स्पष्ट किया गया है कि आरटीआई कानून से इस तरह की छूट तब लागू नहीं होगी जब आवेदक द्वारा मांगी गयी जानकारी किसी सरकारी प्राधिकार के पास उपलब्ध हो और भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़ी हो.
सीबीआई ने कहा था कि एजेंसी को आरटीआई कानून के तहत जानकारी देने से छूट प्राप्त है. सीबीआई की दलीलों को खारिज करते हुए मुख्य सूचना आयुक्त राजीव माथुर ने कहा था कि आरटीआई कानून की धारा 24 कुछ संगठनों को इसके दायरे में लाने से छूट देती है जिसमें सीबीआई शामिल है, लेकिन भ्रष्टाचार और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों से जुड़ी जानकारी इससे अलग रखी गयी है.