अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) ने मंगलवार से दार्जीलिंग के पहाड़ी इलाके में दो दिन का ‘जनता कर्फ्यू’ बुलाया है. इस पर पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा कि उसे 'जनता कर्फ्यू' और 'बंद' के बीच कम ही अंतर दिख रहा है. सरकार ने ऐसा कहकर संकेत दिया है कि जीजेएम अदालती आदेश का उल्लंघन कर रही है.
जीजेएम अध्यक्ष बिमल गुरंग ने गोरखा क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) के अस्तित्व पर सवाल खड़ा किया, जिसका गठन एक त्रिपक्षीय सहमति के तहत किया गया था. गुरंग ने 16 अगस्त को जीटीए के नए सीईओ के चुनाव के फैसले पर फेसबुक पर लिखा, 'अब और जीटीए नहीं. हमारा उद्देश्य गोरखालैंड है. सभी दल जल्दी फैसला करेंगे. मैंने जीटीए के मुख्य कार्यकारी के पद से इस्तीफा दे दिया है.'
गुरंग ने 30 जुलाई को सीईओ के पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद 3 अगस्त से बेमियादी बंद की शुरूआत की गई.
गुरंग ने इसका जिक्र करते हुए लिखा, 'प्रदेश ने हमें 3 दिन में मुख्य कार्यकारी के पद पर किसी का चयन करने के लिए पत्र भेजा है, वरना सरकार अपना मुख्य कार्यकारी नियुक्त कर देगी. हम जीटीए का मुख्य कार्यकारी राज्य से चाहते हैं या हमारे समुदाय में से किसी को.'
उन्होंने कहा, 'जीटीए और इसके मुख्य कार्यकारी का मुद्दा केवल सीमित अवधि के लिए है क्योंकि हमारा अंतिम लक्ष्य गोरखालैंड है.' गुरंग ने फेसबुक पर एक और टिप्पणी में लिखा, 'आंदोलन 19 अगस्त से जारी रहेगा.' गुरंग ने बताया कि लोगों को 16 अगस्त को आंदोलन की योजना के बारे में बताया जाएगा.
इस पर गृह सचिव बनर्जी ने सिलिगुड़ी में कहा, 'मैं 'बंद' और 'जो चल रहा है', उसमें कुछ अंतर नहीं कर पा रहा हूं. इसमें कोई अंतर नहीं किया जा सकता.' उन्होंने कहा कि वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सूचित कर देंगे जिन्होंने हाई कोर्ट की ओर से पहाड़ी इलाके में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए कहे जाने पर बंद को अवैध घोषित कर दिया था.
गृह सचिव ने कहा, 'हम किसी भी स्थिति के लिए तैयार हैं. हम चाहते हैं कि सामान्य स्थिति बहाल हो.'
इस बीच, दार्जीलिंग की पहाड़ियों में जनजीवन प्रभावित रहा, लेकिन बीते दिनों की तरह मंगलवार को यहां कोई धरना प्रदर्शन देखने को नहीं मिला. पुलिस सूत्रों ने कहा कि गोरखा मुक्ति मोर्चा के 30 और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है, जिससे गिरफ्तार लोगों की संख्या बढ़कर 214 हो गई है.