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कैसे कारोबारी पार्टनर के तौर पर भारत की चीन पर निर्भरता बढ़ती गई?

भारत के आयात का बड़ा हिस्सा चीन से आता है, लेकिन फिर भी ये चीन के लिए टॉप एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन नहीं है. चीन ने 2019 में जितना कुल निर्यात किया उसका सिर्फ 3 फीसदी हिस्सा ही भारत को आया.

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भारत का चीन से व्यापारिक संबंध (Photo- PTI)
भारत का चीन से व्यापारिक संबंध (Photo- PTI)

  • बॉयकॉट चाइना को लेकर विरोध तेज, चीनी राष्ट्रपति के जलाए पोस्टर
  • FY20 में भारत ने चीन से 65 अरब डॉलर का सामान किया आयात

लद्दाख में LAC पर भारत और चीन के बीच तनाव के नई ऊंचाइयों पर पहुंचने के बाद देश में ‘बॉयकॉट चाइनीज’ की गूंज जोर पकड़ती जा रही है. सूरत में टीवी सेट तोड़ने से लेकर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के पोस्टर जलाने तक, भारतीय लोग PLA (चीनी सेना) की उस हिमाकत पर गुस्सा जता रहे हैं जो गलवान नदी घाटी में की 15-16 जून की मध्य रात को की गई. PLA के अचानक किए गए हमले में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए.

कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) की ओर से भी चीनी उत्पादों के खिलाफ सख्त कदम उठाया गया. कंफेडरेशन ने बॉयकॉट के लिए 500 चीनी उत्पादों की सूची जारी की है. इसका मकसद दिसंबर 2021 तक चीन के सामान का 13 अरब डॉलर का आयात कम करना है.

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इंडिया टुडे डेटा इंटेलिजेंस यूनिट (DIU) ने भारत-चीन के व्यापार आंकड़ों को स्कैन किया और पाया कि पिछले 10 वर्षों में चीनी आयात पर भारत की निर्भरता कई गुना बढ़ गई है.

चीनी वर्चस्व को मापना

चीनी आयात की वित्त वर्ष 10 (FY10) में भारत के कुल आयात में हिस्सेदारी 10.7 प्रतिशत थी. FY18 तक यह 16.4 प्रतिशत की रिकॉर्ड ऊंचाई छू गई. हालांकि, उसके बाद यह घट रही है और FY20 में, चीनी आयात भारत के कुल आयात का लगभग 13.8 प्रतिशत है.

टॉप 10 देशों को देखा जाए, जहां से भारत उत्पादों का सबसे ज्यादा आयात करता है तो कोई अन्य देश चीन के साथ प्रतिस्पर्धा में नहीं दिखता. FY20 में भारत ने 473 अरब डॉलर का सामान आयात किया, जिसमें से लगभग 14 प्रतिशत यानि 65 अरब डॉलर की हिस्सेदारी अकेले चीन की थी. इसके बाद अमेरिका से 35.6 अरब डॉलर (7.5 प्रतिशत) और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से 30.2 अरब डॉलर का सामान आयात हुआ.

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हालांकि, भारत के आयात का बड़ा हिस्सा चीन से आता है, लेकिन फिर भी ये चीन के लिए टॉप एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन नहीं है. चीन ने 2019 में जितना कुल निर्यात किया उसका सिर्फ 3 फीसदी हिस्सा ही भारत को आया. चीन के लिए भारत 7वां टॉप एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन है.

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हालांकि, यह ध्यान देने वाला तथ्य है कि चीन से भारत के आयात में कई गुना वृद्धि हुई है, वहीं भारत के चीन को निर्यात के साथ ऐसा नहीं हुआ. FY10 में भारत के कुल निर्यात में चीन को हुए निर्यात की हिस्सेदारी 6.5 प्रतिशत थी जो पिछले 10 वर्षों में सबसे अधिक रही. FY20 में भारत के कुल निर्यात का 5.3 प्रतिशत हिस्सा चीन को निर्यात हुआ. हालांकि भारत के लिए चीन तीसरा टॉप एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन है.

बढ़ रहा है व्यापार घाटा

व्यापार घाटे को ऐसे समझा जाता है कि किसी देश के आयात की उसके निर्यात पर कितनी बढ़त है. पिछले दस वर्षों में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 153 प्रतिशत बढ़ा है. FY10 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 19.2 अरब डॉलर था. यह आकंड़ा FY18 में 63 अरब डॉलर की ऊंचाई पर पहुंच गया. वित्त वर्ष 2020 में व्यापार घाटा 48.6 अरब डॉलर रहा. यह मुख्य रूप से अपने निर्यात की तुलना में चीन से भारत के आयात में तेज बढ़ोतरी की वजह से हुआ.

पिछले 10 वर्षों में चीन से भारत के आयात में 150 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है. FY10 में भारत ने चीन से 30 अरब डॉलर का सामान आयात किया. तब से यह आयात लगातार बढ़ता गया. FY18 में भारत ने 76 अरब डॉलर का सामान चीन से आयात किया आयात किया. हालांकि, FY20 चीन से आयात घटकर 65 अरब डॉलर पर आया, लेकिन अब भी इसका मतलब यह है कि भारत ने पिछले 10 वर्षों में चीन से अपना आयात दोगुना कर दिया है.

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लेकिन ऐसा चीन को भारत से होने वाले निर्यात के साथ नहीं हुआ. FY10 में भारत ने चीन को 11.6 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया, जो 2012 में बढ़कर 18 अरब डॉलर की ऊंचाई पर पहुंच गया. FY20 में, भारत ने चीन को 16.6 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया. जिसका अर्थ है कि चीन के लिए भारत के निर्यात में 77 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और जो कि चीन से आयात में बढ़ोतरी की आधी रफ्तार है.

ऐसा नहीं है कि भारत चीन को किसी फाइनल प्रोडक्ट की आपूर्ति कर रहा है. चीन को होने वाले कुल 16 अरब डॉलर के निर्यात में ऑर्गेनिक केमिकल्स, अयस्क, स्लैग, ऐश और मिनरल्स की हिस्सेदारी 43 फीसदी थी. ये सभी इंटरमीडिएरी यानी किसी प्रोडक्ट की मध्य स्थिति वाले हैं.

भारत चीन से अपनी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री की मांगों को पूरा करता है. चीन से कुल 65 अरब डॉलर के आयात में से इलेक्ट्रॉनिक्स और उनके पार्ट्स की हिस्सेदारी लगभग 19 अरब डॉलर की है. यह चीन से आने वाले कुल आयात का लगभग 30 प्रतिशत है.

भारत का जवाब

चीन भारतीय कंपनियों, विशेषकर इसके स्टार्ट-अप्स में बहुत बड़ा दांव रखता है. भारत सरकार ने एफडीआई नियमों में संशोधन किया है. इससे सीमावर्ती देशों को रडार पर रखा जा सकेगा ताकि ‘मौकापरस्त टेकओवर्स’ पर अंकुश लगाया जा सके.

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भारत सरकार 300 चीनी वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ाने का भी विचार कर रही है. क्या ऐसा करना चीन से आयात को कम करने में सक्षम होगा या नहीं, यह इस पर निर्भर करेगा कि भारतीय उद्योग कहां तक चीन से आने वाले मैटीरियल्स का स्थानीयकरण (लोकेलाइज) कर सकते हैं.

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