महाराष्ट्र के सांगली में संपत्ति विवाद के चलते चाकू घोंप कर अपने पिता की हत्या करने के मामले में उसके 31 वर्षीय बेटे की उम्रकैद की सजा बंबई उच्च न्यायालय ने बरकरार रखी है.
इस मामले की एकमात्र चश्मदीद गवाह रही उसकी मां कलावती माणे की गवाही के बिना पर अदालत ने विट्ठल माणे को यह सजा दी है. न्यायाधीश पी डी कोड़े और वी के तहिलरमानी ने कहा, ‘रिकार्ड में दर्ज सबूतों और खासकर कलावती की गवाही को देखते हुए हमारा मानना है कि याचिकाकर्ता ने ही अपने पिता हनुमंत पर चांकू से हमला किया, जिससे उसकी मौत हो गई. इसलिए हम इस अपील में कोई योग्यता नहीं पाते हैं.’
गौरतलब है कि कलावती और हनुमंत के चार बेटों में याचिकाकर्ता उनका सबसे छोटा बेटा है. हनुमंत ने अपनी जमीन का बंटवारा कर चारों बेटों को चार-चार एकड़ जमीन दिया था और खुद के पास साढ़े तीन एकड़ जमीन रख लिया था.
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, मृतक के छोटे बेटे ने अपनी सारी जमीन बेच कर उससे मिले पैसे खर्च डाले. इसके बाद वह अकसर अपने पिता के घर आया करता था और उनसे पैसे मांगा करता था. वह अपने पिता से लड़ता झगड़ता भी था. सात अक्तूबर, 2007 को वह एक बार फिर घर आया और अपनी मां के सामने ही पिता हनुमंत के पेट में चाकू घोप दिया जिस कारण उसकी मौत हो गई.