राजनीति की दिशा तय करने में बयानबाजी की अहम भूमिका होती है. अब कांग्रेस नेता शकील अहमद को ले लीजिए. उन्होंने बैंगलोर में बीजेपी दफ्तर के बाहर हुए ब्लास्ट पर ऐसा बयान दे डाला है जो उनकी ही पार्टी के लिए गले की फांस बन गया.
बैंगलोर धमाके से बीजेपी को फायदा होगा: शकील अहमद
बैंगलोर में हुए धमाके के चंद घंटे के अंदर ही शकील अहमद ने ट्वीट करके कहा कि इस धमाके का बीजेपी को चुनावी फायदा हो सकता है. बयान सामने आते ही शकील अहमद की चौतरफा आलोचना होने लगी. कांग्रेस ने इस बयान से पल्ला झाड़ लिया तो बीजेपी ने इस गैर-जिम्मेदाराना करार दिया. कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने तो उन्हें आतंकवाद पर राजनीति न करने की नसीहत तक दे डाली.
बैंगलोर BLAST: बयानों के साथ शुरू 'सियासी' जंग
दरअसल, कांग्रेस प्रवक्ता शकील अहमद ने ट्वीट किया था, 'अगर बीजेपी दफ्तर के बाहर हुआ धमाका आतंकी हमला है तो बीजेपी को इसका चुनावी फायदा जरूर होगा.'
शकील अहमद के इस बयान पर बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने तीखी टिप्पणी की. शहनवाज हुसैन ने कहा, 'कांग्रेस नेताओं को इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना बयान नहीं देना चाहिए. मैं कांग्रेस से पूछूंगा कि क्या इससे पहले हुए बम ब्लास्ट का कांग्रेस को फायदा हुआ है.'
गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह ने शकील अहमद के विवादित बयान से दूरी बनाते हुए कहा, 'यह उनकी निजी राय हो सकती है. कांग्रेस ऐसे मुद्दों पर राजनीति नहीं करती है.'
कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने भी इशारों में ही शकील अहमद की खिंचाई कर डाली. उन्होंने कहा कि आतंकवाद पर सियासत ना हो. सीपीआई नेता डी राजा ने शकील अहमद के ट्वीट को अनुचित और बेतुका बताया. उन्होंने कहा कि ब्लास्ट की जांच NIA को करने दें, इस तरह की बयानबाजी नहीं होना चाहिए.
अब सवाल यह उठता है कि क्या शकील अहमद के इस के लिए खामियाजा भी भुगतना पड़ेगा?