कालेधन मामले में पिछले दिनों सामने आई एचएसबीसी की ‘चुराई गई’ सूची में शामिल भारतीयों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने कड़ा रुख अपना लिया है. एजेंसी ने इन मामले में हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध की दृष्टि से एक स्वतंत्र शुरुआती जांच शुरू की है.
निदेशालय (ईडी) ने इस संबंध में विभिन्न अदालतों के रजिस्ट्री कार्यालयों से अब तक 140 इकाइयों के खिलाफ आयकर विभाग द्वारा दायर अभियोजन आरोप पत्रों का ब्योरा हासिल करने का काम शुरू किया है. निदेशालय और कालेधन पर विशेष जांच दल (एसआईटी) चाहता था कि कर विभाग और इसकी शीर्ष संस्था केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) इन मामलों में ब्योरों को निदेशालय के साथ साझा करे. लेकिन कर विभाग द्वारा विदेशी सरकारों से हासिल जानकारी के साथ जुड़ी कड़ी शर्तों का हवाला देते हुए इस आग्रह को अब तक लगातार खारिज किया जाता रहा है.
जानकार सूत्रों ने बताया कि एजेंसी ने कुछ समय पहले यह फैसला किया कि देश में विभिन्न अदालतों की रजिस्ट्री से मामलों की रपट हासिल कर उनकी समीक्षा जाए. उन्होंने कहा कि निदेशालय को कुछ मामले पहले ही मिल चुके हैं. सूत्रों के मुताबिक, बैंक के एक कर्मचारी द्वारा कथित रूप से ‘चुराए’ जाने के बाद यह सूची फ्रांसीसी सरकार ने कुछ साल पहले भारत सरकार को उपलब्ध करवाई थी.
आपराधिक प्रवृत्ति के तहत कानूनी प्रक्रिया
उन्होंने कहा कि इस सूची में से अनेक मामलों में तो प्रथम दृष्टया विदेशी विनिमय प्रबंधन कानून (फेमा) के तहत आरोप बनते हैं. इनमें से अनेक में मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक कानून (पीएमएलए) के कड़े प्रावधान लागू किए जा सकते हैं. इस सूची में शामिल, विदेशों में धन रखने वालों के लिए और परेशानी इसलिए भी हो सकती है क्योंकि पीएमएलए के तहत कानूनी प्रक्रिया आपराधिक प्रवृत्ति की है और निदेशालय द्वारा जारी एक ताजा परिपत्र के अनुसार आईपीसी की धारा 120 बी के तहत दर्ज मामलों में प्रवर्तन निदेशालय मनी लॉन्ड्रिंग आरोप के तहत जांच कर सकता है.
ऐसा माना जाता है कि कर विभाग ने इनमें से अनेक मामलों में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी भी लगाई है. सूत्रों के मुताबिक, एजेंसी अनेक मामलों में जांच के अग्रिम चरण में है और उन लोगों के खिलाफ फेमा के नोटिस जारी कर रही है जिनके खिलाफ आयकर विभाग ने अदालत में मामले दर्ज किए हैं. भले ही विभिन्न अदालतों से सभी 140 मामलों को हासिल करने में बहुत समय लग रहा हो.
गौरतलब है कि एचएसबीसी की सूची में कुल 628 भारतीयों के नाम आए. इनमें से 200 प्रवासी हैं या ऐसे हैं जिनका पता नहीं चल सका है. इसके बाद 428 मामलों ही कार्रवाई के योग्य पाए गए.
-इनपुट भाषा से