2004 के ‘फील गुड’ के दौर से ही हाई टेक कैंपेन बीजेपी के थिंक टैंक की पहचान रहा है. ये बात और है दो चुनावों में पार्टी को मुंह की खानी पड़ी. लोकसभा चुनावों की आहट पाते ही बीजेपी में सुगबुगाहट चालू हो गयी है. कांग्रेस की तर्ज पर ही बीजेपी ने वार रूम बनाने का ऐलान कर दिया है जो पारंपरिक प्रचार से लेकर सोशल मीडिया तक में अपना जाल फैलाएगा. मोदी की लोकप्रियता से कोई भी इनकार नहीं कर रहा है लेकिन संकेत हैं कि ध्यान चेहरे से ज्यादा पार्टी को मजबूत बनाने पर दिया जाएगा.
जाहिर है चिंता लोकसभा चुनावों की है और तैयारी भी युद्धस्तर पर ही करनी पडेगी. कांग्रेस तो पहले से ही वार रूम बनाकर युवराज राहुल के कंधे पर बंदूक रखकर आगे बढ़ चली है. लेकिन बीजेपी का वार रूम भला किस चेहरे के भरोसे चलेगा. पार्टी नाम गिनाने से पीछे नहीं रहती. बीजेपी उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी का कहना है, 'हमें खुशी है कि नेताओं की एक लंबी लिस्ट है हमारे पास.'
लेकिन नकवीजी फिर मोदी का क्या होगा जो देश भर में घूम-घूम कर पीएम पद के लिए अपनी मार्केटिंग करने में लगे हैं. इस पर नकवी कहना है कि मोदीजी सबसे लोकप्रिय नेता हैं. संकेत साफ है कि अब पूरा ध्यान पार्टी को मजबूत करने में लगेगा. वार रूम बनाने का ऐलान राजनाथ सिंह ने पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में किया था.
- वार रूम के सदस्य मुख्तार अब्बास नकवी, जेपी नड्डा, सुधांशु त्रिवेदी, प्रभात झा, निर्मला सीतारमण, बलवीर पुंज होंगे.
- सोशल मीडिया, रैलियां और दूसरे पारंपरिक प्रचार, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए गांव-गांव तक पहुंचने की तैयारी.
- बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं का संपर्क समागम जून के महीने से शुरू होगा.
- लोकसभा उम्मीदवारों की एक छोटी लिस्ट मई के अंत तक जारी हो सकती है.
- प्रचार का केन्द्र बीजेपी शासित राज्यों का सुशासन होगा और बीजेपी को विकल्प के रूप में पेश किया जाएगा.
मुख्तार अब्बास नकवी का कहना है, 'किसी चेहरे से ज्यादा हम पार्टी को विकल्प के रूप में पेश करेंगे.' यानी मोदी के लिए अभी दिल्ली दूर है. क्योंकि उन्हें जिस कैंपेन कमिटी का अध्यक्ष बनाने की बात चल रही थी फिलहाल उस कमिटी के बनने के आसार भी कम ही नजर आ रहे हैं. लेकिन पार्टी ने वार रूम के जरिए नैय्या पार लगाने की तैयारी जरूर शुरू कर दी है.