आगामी चुनावों और जेठमलानी को लेकर अहम फैसलों के लिए आज बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक होनेवाली है और नरेंद्र मोदी इस बैठक में पहली बार शामिल हो रहे हैं. अपने लोगों को अहम पदों पर बिठाकर अब मोदी अपने हिसाब से ही पार्टी चलाने की कोशिश करेंगे.
राजनाथ की टीम में अपना राज जमाने के बाद नरेंद्र मोदी बीजेपी के संसदीय बोर्ड की बैठक में पहली बार शामिल हो रहे हैं. बड़े-बड़े फैसले लेने हैं. अगले चुनावों की रणनीति बननी है, पिछली हारों पर मंथन होने हैं. राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली बीजेपी में जब नई टीम बनी तो उसपर मोदी का असर था, जब राजनाथ ने नई टीम को काम बांटा तो उसपर भी मोदी ही छाए रहे, अब आज संसदीय बोर्ड की बैठक है तो कयास लगाने की क्या जरूरत है कि इसमें भी मोदी ही बरसेंगे.
अगर आपको याद ना हो तो एक बार संक्षेप में पूरी दास्तान बता देते हैं:
मोदी के सुप्रीम कमांडर अमित शाह पहले महासचिव बनाए गए, फिर सबसे बड़े राज्य यूपी के प्रभारी बने.
स्मृति ईरानी को उपाध्यक्ष बनाया गया, फिर गोवा का प्रभार भी मिला.
थावर चंद गहलोत पहले महासचिव बनाए गए, फिर कर्नाटक की जिम्मेदारी भी मिली.
जाहिर है बीजेपी की सियासत में मोदी खुद को तो मजबूत कर चुके हैं. लेकिन सवाल तो ये है कि आखिर देश की सियासत में वो अपनी पार्टी को कितना मजबूत कर पाएंगे. क्योंकि जब पार्टी कर्नाटक में हारती है तो उनके दांत में दर्द हो जाता है.
वैसे तो वो हमेशा दिखाते हैं कि देश के दर्द से दुखी हैं. लेकिन, खुद बीजेपी संसदीय बोर्ड का रजिस्टर बताता है कि मोदी के अपने दर्द ही ज्यादा हैं. ये तीसरी बैठक है और वो पहली बार शामिल हो रहे हैं. तैंतीस फीसदी उपस्थिति, गणित की भाषा में इसे थर्ड डिविजन कहते हैं.