संसद पर आतंकी हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी देने का स्वागत करने के साथ मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने ऐसा करने में इतनी देरी किए जाने पर भी सवाल उठाया.
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने यहां कहा, ‘भारतीय संसद पर 12 साल पहले 2001 में हमला हुआ था. यह भारत पर हमला था. गुरू को फांसी देने में इतना विलंब क्यों किया गया, जबकि देश की जनता चाहती थी कि इस जघन्य अपराध के दोषी को जल्द से जल्द फांसी के फंदे पर लटकाया जाए.’
उन्होंने कहा कि देश की शीर्ष अदालत द्वारा भी 2005 में अफज़ल की फांसी की सज़ा को बरकरार रखने और जनवरी 2007 में उसकी दया याचिका नामंजूर कर दिए जाने के बावजूद उस सज़ा की तामील में इतने देरी क्यों की गई, यह ऐसा महत्वपूर्ण सवाल है जिसका जवाब सरकार को देना चाहिए.
भाजपा के उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, ‘यह देर से लिया गया निर्णय है लेकिन राष्ट्रीय हित में है. उसे फांसी देने में किए जा रहे विलंब के खिलाफ पूरे देश में गहरा रोष था. विलंब के बावजूद उसे फांसी दिए जाने पर देश की जनता ने राहत की सांस ली है.’
पार्टी के अन्य प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी ने गुरू को फांसी के फंदे पर लटका दिए जाने का स्वागत करते हुए कहा कि जनता इसकी लंबे समय से प्रतीक्षा कर रही थी. उन्होंने कहा, ‘यह देर से की गई कार्रवाई है. लेकिन निस्संदेह स्वागतयोग्य कार्रवाई है. दुनिया को इससे यह संदेश जाएगा कि भारत आतंकवाद के विरूद्ध लड़ाई में प्रतिबद्ध है.'