यूपी के दो बीजेपी सांसदों ने मांग उठाई है कि समान न्याय का तकाजा है कि महिला आयोग की तरह पुरुषों के लिए भी कोई संवैधानिक आयोग बने. इनमें एक घोसी के सांसद हरिनारायण राजभर हैं तो दूसरे हरदोई के सांसद अंशुल वर्मा हैं.
समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में घोसी के सांसद हरिनारायण राजभर ने कहा, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्लू) की तर्ज पर पुरुष आयोग भी बने ताकि पुरुषों को अपना कोई मंच मिल सके. इस मांग के पीछे कारण क्या है, इसके जवाब में सांसद ने कहा, पुरुष अपनी पत्नियों के हाथों प्रताड़ित होते हैं, इसलिए किसी के साथ नाइंसाफी नहीं होनी चाहिए.
यूपी में 80 संसदीय सीटें हैं और उन्हीं में से एक घोसी सीट से राजभर सांसद हैं. यह कोई पहला मौका नहीं है जब राजभर ने ऐसी मांग उठाई हो. पिछले महीने संसद में भी वे ऐसी मांग बुलंद कर चुके हैं. संसद में 'पुरुष आयोग' की मांग रखते हुए राजभर ने कहा था, 'पत्नियों के हाथों प्रताड़ित होते पुरुषों के लिए एक आयोग की जरूरत है.'On the lines of National Commission for Women, a commission for men should be made, men should also get a platform. In the present time, we see incidents where men suffer at the hands of their wives. There should be no injustice with anyone: Harinarayan Rajbhar, BJP Lok Sabha MP pic.twitter.com/NcSz1a9v5n
— ANI (@ANI) September 3, 2018
पीटीआई ने राजभर के हवाले से लिखा था, 'कई पुरुष (प्रताड़ित) ऐसे हैं जो जेलों में बंद हैं.' संसद में उनकी यह मांग सुनकर बाकी सांसद अपनी हंसी नहीं रोक पाए थे.
क्या कहा हरिनारायण राजभर ने
बकौल बीजेपी सांसद राजभर, 'मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पुरुष आयोग बनाने की मांग की है. मैंने पहले भी तीन अगस्त को संसद में शून्य काल में यह मुद्दा उठाया था. कुछ अपराधी किस्म की पत्नियों से पति परेशान रहते हैं. इसके वाबजूद पतियों को प्रताड़ित होना पड़ता है. मैं चाहता हूं कि सरकार इसपर कानून लाए और जल्द इसे पास करवाए. लाखों पुरुष महिलाओं के अत्याचारों से परेशान होकर आत्महत्या कर रहे हैं. मुझे लगता है अगर महिलाओं को इंसाफ मिलना चाहिए तो पुरुषों को भी इंसाफ मिलना चाहिए. हरदोई से सांसद अंशुल वर्मा ने भी मेरी मांग का समर्थन किया है. हमें आगे भी समर्थन मिलेगा. पुरुषों को जिस तरह से प्रताड़ित किया जाता है, इस पर रिसर्च कर रहा हूं. मैं महिला आरक्षण का विरोधी नहीं हूं. मैं महिला आरक्षण बिल को पास करने के पक्ष में हूं. मैं पुरुष अयोग की मांग राजनीति करने के लिए नहीं कर रहा, मैं महिलाओं के अत्याचारों से पुरुषों को न्याय दिलाने की कोशिश कर रहा हूं.'
हरदोई के सांसद का समर्थन
हरदोई के सांसद अंशुल वर्मा ने कहा, 'महिला आयोग का जिस प्रकार गठन किया गया है, हम पुरुष आयोग की भी मांग कर रहे हैं. थाना और जिला स्तर पर मेंस सेल की मांग कर रहे हैं.' वर्मा ने कहा, 'प्रो वुमेन मस्ट नॉट बी एंटी मैन. कोई भी चीज महिला के लिए हितकर है, वह जरूरी नहीं कि आदमी को ताक पर हो. हम चाहते हैं कि समानता का अधिकार दोनों पक्षों को रहे. आंकड़े यह दर्शाते हैं कि जब से सेक्शन 498 लागू हुआ है, तब से लेकर साल 2015 तक 27 लाख गिरफ्तारी की गई. इसमें छह लाख महिलाएं भी गिरफ्तार की गईं जो कहीं न कहीं दांपत्य जीवन से जुड़ी होती हैं. सात हजार नाबालिग बच्चों की भी गिरफ्तारी हुई. कई जगह गैंग्स इस सेक्शन का दुरुपयोग कर रहे हैं. महिलाओं की ओर से दुरुपयोग किया जा रहा है.'
क्या है राष्ट्रीय महिला आयोग
राष्ट्रीय महिला आयोग यानी एनसीडब्लू का गठन जनवरी 1992 में हुआ था. यह एक संवैधानिक संस्था है. यह संस्था शिकायत या स्वतः संज्ञान लेते हुए महिलाओं के संवैधानिक हितों और उनके लिए कानूनी सुरक्षा उपायों को लागू कराती है. आयोग की पहली अध्यक्ष जयंती पटनायक थीं. फिलहाल रेखा शर्मा अध्यक्ष हैं. राष्ट्रीय महिला आयोग का मकसद भारत में महिलाओं के अधिकारों का प्रतिनिधित्व करने के लिए और उनके मुद्दों और चिंताओं पर आवाज उठाना है. बलात्कार पीड़ित महिलाओं के राहत और पुनर्वास के लिए बनने वाले कानून में राष्ट्रीय महिला आयोग की अहम भूमिका रही है.