कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अध्यक्ष अमित शाह पर बड़ा हमला बोला है. राहुल गांधी ने कहा है कि बीजेपी के लोग भी अमित शाह का सच जानते हैं.
राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा- भारतीय बहुत गहरे समझदार हैं. ज्यादातर भारतीय, वे भी जो बीजेपी में हैं, सहज रूप से अमित शाह का सच समझते हैं, ऐसे लोगों को धर दबोचने का सच का अपना तरीका होता है.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने जज लोया की कथित रहस्यमयी परिस्थिति में मौत के मामले में जांच की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया. न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि न्यायाधीश की स्वाभाविक मृत्यु हुयी थी और इन याचिकाओं में न्याय प्रक्रिया को बाधित करने तथा बदनाम करने के गंभीर प्रयास किये गये हैं.
Indians are deeply intelligent. Most Indians, including those in the BJP, instinctively understand the truth about Mr Amit Shah. The truth has its own way of catching up with people like him.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 19, 2018
फैसले के बाद भाजपा ने किया पलटवार
इस फैसले के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला. भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि यह जनहित से प्रेरित मामला नहीं बल्कि राजनीति से प्रेरित मामला था जो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पर लांछन लगाने के लिये दायर किया गया था. भाजपा ने मांग की कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को इस बारे में अमित शाह से माफी मांगनी चाहिए.
'निष्पक्ष जांच की मांग के लिए कांग्रेस प्रतिबद्ध'
हालांकि, फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर कांग्रेस ने कहा कि इस केस में फैसले का दिन देश के इतिहास में बहुत दुखद है. साथ ही पार्टी ने मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की. कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि न्यायाधीश लोया की मौत की परिस्थितियों की निष्पक्ष जांच कराने की जनता की मांग के लिए कांग्रेस प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पर हमला करने के लिए उच्चतम न्यायालय के निर्णय का गलत अर्थ निकालने का भाजपा का प्रयास उसकी बेचैनी को प्रदर्शित करता है.
राहुल गांधी पहले भी कर चुके हैं निष्पक्ष जांच की मांग
गौरतलब है कि विपक्षी पार्टियां जज लोया की मौत पर पहले ही निष्पक्ष जांच की मांग कर चुकी हैं. सुप्रीम कोर्ट के चार जजों द्वारा इस मसले पर उठाए गए सवालों के बाद राहुल गांधी ने भी मीडिया से बात की थी. उन्होंने तब अपील की थी कि चारों जजों के आरोप बेहद अहम है. जज लोया मामले की जांच सही तरीके से होनी चाहिए. राहुल ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के शीर्ष स्तर पर जज लोया के मामले की जांच होनी चाहिए, जो हमारा लीगल सिस्टम है, उस पर हम विश्वास करते हैं. एक गंभीर बात उठी है, इसलिए हम ये बात कर रहे हैं.
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि जस्टिस लोया बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख मामले की सुनवाई कर रहे थे. 2005 में सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी कौसर को गुजरात पुलिस ने अगवा किया और हैदराबाद में हुई कथित मुठभेड़ में उन्हें मार दिया गया था. सोहराबुद्दीन मुठभेड़ के गवाह तुलसीराम की भी मौत हो गई थी. इस मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का भी नाम जुड़ा था.
मामले से जुड़े ट्रायल को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में ट्रांसफर किया था. इस मामले की सुनवाई पहले एक अन्य जज कर रहे थे, लेकिन इस मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के पेश नहीं होने पर उन्होंने नाराजगी व्यक्त की थी, जिसके बाद उनका तबादला हो गया. फिर जस्टिस लोया के पास इस मामले की सुनवाई आई.
दिसंबर, 2014 में जस्टिस लोया की नागपुर में मौत हो गई थी, जिसे संदिग्ध माना गया था. जस्टिस लोया की मौत के बाद जिस जज ने इस मामले की सुनवाई की, उन्होंने अमित शाह को मामले में बरी कर दिया था.
हाल ही में कुछ समय पहले एक मैग्जीन ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि जस्टिस लोया की मौत साधारण नहीं थी बल्कि संदिग्ध थी. जिसके बाद से ही यह मामला दोबारा चर्चा में आया. लगातार इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी भी जारी रही है. हालांकि, जज लोया के बेटे अनुज लोया ने कुछ दिन पहले ही प्रेस कांफ्रेंस कर इस मुद्दे को बड़ा करने पर नाराजगी जताई थी. अनुज ने कहा था कि उनके पिता की मौत प्राकृतिक थी, वह इस मसले को बढ़ावा नहीं देना चाहते हैं.
अमित शाह भी दे चुके हैं जवाब
एजेंडा आजतक 2017 के मंच पर अमित शाह ने इस मुद्दे पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा था कि कारवां मैग्जीन ने जस्टिस लोया की मौत को लेकर खबर छापी, तो दूसरी ओर एक अंग्रेजी अखबार ने भी खबर छापी. जिसको भी संदेह है वो तथ्य देख ले. क्या ये उनके खिलाफ कोई राजनीतिक षड्यंत्र है? इस सवाल पर अमित शाह ने कहा कि मैं ऐसा कुछ नहीं कहना चाहता. मैं क्यों पचड़े में पड़ूं? जिसको भी संदेह है वो नागपुर जाकर देख ले.