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बीजेपी-जेडीयू गठबंधन टूटने के कगार पर, 15 या 16 जून को आखिरी फैसला संभव

17 साल पुराना रिश्ता आज टूट की कगार पर है. सियासत के सबसे पुराने दोस्त अब एक-दूसरे पर एतबार नहीं कर पा रहे. अब रिश्ते इतने खट्टे हो गए हैं कि राहें अलग कर लेने की ही बात चल रही है. जेडीयू को नरेंद्र मोदी मंजूर नहीं और इसलिए बीजेपी से 'तलाक' की बातें हो रही हैं. 15 या 16 जून को इस पर आखिरी फैसला होने की संभावना है.

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17 साल पुराना रिश्ता आज टूट की कगार पर है. सियासत के सबसे पुराने दोस्त अब एक-दूसरे पर एतबार नहीं कर पा रहे. अब रिश्ते इतने खट्टे हो गए हैं कि राहें अलग कर लेने की ही बात चल रही है. जेडीयू को नरेंद्र मोदी मंजूर नहीं, इसलिए बीजेपी से 'तलाक' की बातें हो रही हैं. 15 या 16 जून को इस पर आखिरी फैसला होने की संभावना है.

इस बीच पूरी खींचतान पर आडवाणी ने नीतीश कुमार और शरद यादव से फोन पर बात की है.  मोहब्बत में जब शिकायतों का दौर शुरू हो जाता है, तो यूं समझ लीजिए कि निकाह से पहले ही तलाक का वक्त आ गया. सियासी गठबंधन में सबसे पुराने माने जाने वाले दोस्त बीजेपी और जेडीयू के बीच ऐसी तलवार खिंची है कि रिश्ते अब टूटने की कगार पर हैं. गोवा में बीजेपी का नया चेहरा उभरा, तो जेडीयू ने भी तीर तान लिए. जेडीयू के तमाम नेता एक सुर में कहते हैं कि अब जुदा राहों पर चलने का वक्त आ गया है.

जेडीयू में बीजेपी से 'तलाक-तलाक-तलाक' की आवाज उठी तो जेडीयू के अध्यक्ष और एनडीए के संयोजक ने जरा संयम से काम लिया. रिश्तों की गारंटी तो नहीं दी, पर दो-तीन दिनों तक बयानों पर ध्यान ना देने पर जोर जरूर दिया.

मोदी के नाम पर सबसे बड़ा दांव खेलने वाले बीजेपी के अध्यक्ष से सवाल किया गया कि महाभारत में लंकाकांड कहां से आया, तो पार्टी के नए राज के नाथ ने कहा, 'मेघनाद से पूछो'.

बयानबाजियों के इस दौर में अब तेवर दोनों ओर के सख्त हैं. बीजेपी के भी और जेडीयू के भी. और वक़्त बताता है कि सख्त तेवर से सियासत बदलती कम है, बिगड़ती ज़्यादा है.

बीजेपी को अब इस दर्द का एहसास ज़्यादा होगा, क्योंकि पीएम उसी को बनाना है और इसके लिए पैंतरे भी वही दिखा रही. अब सियासत के रंगमंच पर देखना ये है कि तलाक की ये धमकियां बस धमकियां भर हैं या फिर आने वाले दिनों में कोई नया गुल भी खिलने वाला है.

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फिर तीसरे मोर्चे की कवायद हुई तेज
कहने वाले कहते रहें कि हिन्दुस्तान में तीसरा मोर्चा नहीं चल सकता. कहने वाले कहते रहें कि तीसरा मोर्चा कभी स्थायी नहीं होगा. लेकिन देश में जब भी सत्ता का समीकरण बिगड़ता है, केंद्र और राज्यों की राजनीति में उथल-पुथल शुरू होती है, चर्चा में सबसे पहले थर्ड फ्रंट ही आता है. एक बार फिर बीजेपी में मोदी राज कायम होने से एनडीए का वजूद खतरे में आया और तीसरे मोर्चे की हवा ने जोर पकड़ ली.

तीसरे मोर्चे की हवा बुलंद करने में अगुवाई कर रही ममता बनर्जी को जैसे ही लगा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहयोगी बीजेपी से दामन छुड़ाने के लिए कसमसा रहे हैं, उन्होंने तीसरे मोर्चे के लिए दामन फैला दिया.

जेडीयू के महासचिव केसी त्यागी की पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात भी हुई और फिर ऐलान हुआ कि तीसरी ताकत बनाने की बात में दम है. मुलाकात के बाद नीतीश कुमार ने खुद भी ममता बनर्जी को फोन किया और तीसरे मोर्चे को जीवनदान देने की कोशिश के लिए बधाई दी.

ममता बनर्जी ने कबूल किया कि वो तीसरे मोर्चे के लिए ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के भी संपर्क में हैं. हालांकि नवीन पटनायक कहते हैं कि अभी तीसरे मोर्चे की परिकल्पना करना जल्दबाजी है.

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अभी अपने पत्ते खोलने के मूड में नहीं पटनायक
नीतीश की तर्ज पर नवीन पटनायक ने भी दिल्ली में दम दिखाया. विशाल स्वाभिमान रैली कर ओडिशा को विशेष राज्य का दर्जा देने के बात की और इसी दौरान कहा कि अभी देखते हैं कि तीसरे मोर्चे की हवा कितना रंग पकड़ती है. नवीन पटनायक 'वेट एंड वॉच' की नीति अपना रहे हैं. लेकिन एक बार ममता बनर्जी को धोखा दे चुकी समाजवादी पार्टी ने नीतीश कुमार को तीसरे मोर्चे का आमंत्रण देने में देरी नहीं की.

कांग्रेस-एनसीपी के हाथ-पांव फूले
तीसरा मोर्चा अभी हवा में ही है, लेकिन कांग्रेस के पसीने छूटने लगे हैं. कांग्रेस और एनसीपी ने तीसरे मोर्चे को 'खयाली पुलाव' कहा है. थर्ड फ्रंट अपने बल-बूते पर सरकार नहीं बना सकती. ऐसी बात केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने महाराष्ट्र के सांगली में मीडिया के साथ बातचीत में कही.

पवार ने कहा कि तीसरा मोर्चा कितनी भी कोशिश करे, तो भी अपने बूते पर सरकार नहीं बना सकती. उसे किसी ना किसी राष्ट्रीय पार्टी की मदद लेने की जरूरत पड़ेगी ही. पवार ने यह भी कहा कि UPA या NDA के लिए भी प्रादेशिक पार्टियों- जैसे DMK, TMC को साथ लिये बगैर सरकार बनाना मुश्किल है. कृषि मंत्री ने कहा कि 2014 के पहले तो लोकसभा के चुनाव होना असंभव लागता है.

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