इंडिया आइडियाज कॉन्क्लेव में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि ये स्वीकार करना पड़ेगा कि जैसी कल्पना थी वैसा भारत नहीं बन पाया है. इस बात पर गर्व है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहां परिपक्व लोकतंत्र की स्थापना की बात पूरी दुनिया मान चुकी है.
शाह ने कहा, 'आठ सौ साल की गुलामी में भी देश की सामाजिक चेतना सोई नहीं. हालांकि आजादी के बाद सत्ताधारी लोगों ने अपनी पहचान जीवित रखने का कोई कदम नहीं उठाया. इसी कारण हम अभी भी यही सोच रहे हैं कि आगे क्या हो सकता है.
राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र नहीं
देश में जाति के नाम पर वोट मांगे जाने को लेकर अमित शाह ने कहा कि आज भी जाति आधारित राजनीति जारी है, ज्यादातर राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र का नामोंनिशान नहीं है. शाह ने कहा, 'विभाजन के अपराध बोध से ग्रस्त हो कर तत्कालीन शासन ने तुष्टीकरण की नीति शुरू कर दी थी. इसी कारण लोकतंत्र की क्षति हुई थी. विविधता दिखाकर समाज को क्षति पहुंचाने का काम किया गया.'
हर महिला को समान अधिकार के पक्ष में सरकार
बीजेपी प्रमुख ने कहा, '2014 में देश की क्या हालत थी, लोग चिंतित थे कि भारत का भविष्य क्या है, अनिश्चितता का कोहरा था. फिर देश की जनता ने एक नेता पर भरोसा करने का फैसला किया.' शाह ने बताया कि तीन तलाक के मुद्दे पर सरकार की राय स्पष्ट है. देश की हर महिला को समान अधिकार मिले, हम यही चाहते हैं.
'अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर देश का विरोध नहीं'
अमित शाह ने कहा कि लोकतंत्र में असहमति व्यक्त करने की छूट है. मोदी का विरोध कर सकते हैं, नीतियों का विरोध कर सकते हैं, लेकिन देश का विरोध नहीं कर सकते. आजादी के बाद अगर किसी एक नेता की सबसे ज्यादा आलोचना हुई है, तो वो नरेंद्र मोदी हैं. आलोचना सहन करनी चाहिए, लेकिन अगर विरोध के नाम पर देश का विरोध किया जाए, तो इसे अभिव्यक्ति की आजादी नहीं माना जा सकता है.