scorecardresearch
 

त्रिपुरा में BJP का कम्प्रोमाइज फॉर्मूला, सुनील देवधर भेजे गए आंध्र प्रदेश

सुनील देवधर के अलावा दुष्यंत कुमार गौतम को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, सत्या कुमार को राष्ट्रीय सचिव, पी एस श्रीधरन पिल्लई को केरल प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. वी मुरलीधरन आंध्र प्रदेश के प्रभारी नियुक्त किए गए हैं.

Advertisement
X
सुनील देवधर
सुनील देवधर

त्रिपुरा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को सत्ता दिलाने वालों में से एक चेहरा रहे सुनील देवधर को पार्टी हाई कमान ने आंध्र प्रदेश में नई जिम्मेदारी सौंपी है. उन्हें राज्य ईकाई का "सह प्रभारी" बनाया गया है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले देवधर, राज्य के प्रभारी वी. मुरलीधरन के साथ मिलकर काम करेंगे.

हाल ही में आंध्र प्रदेश को स्पेशल स्टेटस देने की मांग को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से टीडीपी नेता और मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू अलग हो गए थे. अब माणिक सरकार की तरह बीजेपी उन्हें सत्ता से बेदखल करने का सपना देख रही है. बीजेपी सूत्रों ने भी आज तक से कन्फर्म किया कि फेरबदल पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की चुनावी तैयारियों से ही जुड़ा है. देवधर जल्द ही काम शुरू कर देंगे.

Advertisement

अगले साल लोकसभा चुनाव के साथ ही आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी हैं. राज्य में पार्टी की ताकत बढ़ाने के लिए अच्छे सांगठनिक रणनीतिकारों की जरूरत है. पार्टी हाई कमान का मानना है कि एक वामपंथी गढ़ में जिस तरह की रणनीति देवधर ने अपनाई, उनके नेतृत्व में पार्टी आंध्र में भी अच्छे नतीजे ला सकती है. राज्य में बीजेपी के पास बढ़िया जनाधार तो है, लेकिन अभी वह इस स्तर का नहीं कि बीजेपी अकेले या सहयोगी के बिना चुनावों में उल्लेखनीय सफलता हासिल कर पाए. त्रिपुरा जैसे नतीजों से उत्साहित पार्टी आलाकमान की राय में अगर रणनीतियां सही रहीं तो आंध्र प्रदेश में भी बीजेपी करिश्मा कर सकती है.

कहीं ये बीजेपी का कम्प्रोमाइज फ़ॉर्मूला तो नहीं

हालांकि, बीजेपी के दूसरे सूत्रों की राय इससे अलग है. नाम न छापने की शर्त पर कुछ नेताओं ने इसे- "एक तरह से बीजेपी का कम्प्रोमाइज फ़ॉर्मूला करार दिया." दरअसल, त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी के मुख्यमंत्री बिप्लब देब और सुनील देवधर में बहुत कुछ ठीक नहीं था. कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो देवधर कभी नहीं चाहते थे कि बिप्लब देब मुख्यमंत्री बनें. हालांकि पार्टी ने उनकी राय नहीं मानी. और अतीत में ये देवधर और बिप्लब देब में मनमुटाव की एक वजह बन गया.

Advertisement

बिप्लब के साथ कथित खींचतान की खबरों के सामने आने के बाद सुनील देवधर अज्ञातवास पर भी चले गए थे. उन्होंने अज्ञातवास को लेकर बाकायदा एक ट्वीट भी किया था. हालांकि देवधर, बिप्लब के साथ खींचतान की बात से हमेशा इनकार भी करते रहे हैं. हालांकि देवधर अभी त्रिपुरा के प्रभारी बने रहेंगे और वहां का कामकाज भी देखते रहेंगे.

बीजेपी और टीडीपी ने आंध्र प्रदेश में गठबंधन कर पिछले चुनाव लड़ थे. विधानसभा में पूर्ण बहुमत के साथ लोकसभा की भी ज्यादातर सीटों पर गठबंधन ने कब्ज़ा किया था. वाईएसआरसी दूसरे नंबर पर थी. अब आंध्र प्रदेश में नई जिम्मेदारी पाकर देवधर बीजेपी को कितना फायदा पहुंचाएंगे यह देखना दिलचस्प होगा.

Advertisement
Advertisement