क्या दशकों पुराने बाबरी मस्जिद विवाद को बातचीत के जरिये सुलझाया जा सकता है? इस मसले पर 'अयोध्या रिविजेटेड' नाम की किताब लिखने वाले किशोर कुणाल का मानना है कि ये मुमकिन है.
समाधान के 2 रास्ते
किशोर कुणाल की राय में इस पेचीदा समस्या को सुलझाने के 2 रास्ते हैं. या तो दोनों पक्षों में रजामंदी कायम हो जाए या फिर कानून के बड़े जानकार दोनों पक्षों की ओर से पेश किये गए सबूतों के आधार पर तय करें कि क्या विवादित स्थल पर वाकई पूजा होती थी?
पहले हो चुकी है कोशिश
कुणाल के मुताबिक इस मसले को बातचीत के रास्ते से सुलझाने की कोशिश पहले भी हो चुकी है. पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह और नरसिम्हा राव इसी रास्ते से मसले को सुलझाना चाहते थे. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. साल 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी फैसला सुनाने से पहले दोनों पक्षों को बुलाकर कहा था कि वो मिल-बैठकर किसी नतीजे पर पहुंचें. लेकिन एक बार फिर दोनों पक्षों में एकराय नहीं बन सकी.
किताब में लिखा है समाधान का रास्ता
किशोर कुणाल का दावा है कि उनकी किताब में इस समस्या के समाधान के लिए कारगर तरीके सुझाए गए हैं. उनकी मानें तो मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवाने वाला बाबर नहीं बल्कि औरगंजेब था.