जाने माने योगाचार्य स्वामी रामदेव ने कहा कि मानसिक रूप से बीमार लोग ही समलैंगिक संबंधों के चंगुल में फंसते है और ऐसे लोगों के लिए वर्तमान समय में कानून बनाने की बजाय पुनर्वास केंद्र खोलने की आवश्यकता है.
मानसिक रूप से बीमार ही समलैंगिक संबंधों के चंगुल में फंसते हैं
रामदेव ने दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा वयस्कों के बीच सहमति से बनाए जाने वाले समलैंगिक संबंधों को वैध घोषित करने की कड़ी आलोचना करते कहा कि मानसिक रूप से बीमार लोग ही समलैंगिक संबंधों के चंगुल में फंसते है और ऐसे लोगों को संरक्षण देने की बजाय उनके लिये पुनर्वास केंद्र खोलने की जरूरत है.
ऐसे लोगों को स्वयं प्रशिक्षण देंगे बाबा रामदेव
उन्होंने कहा कि वह स्वयं ऐसे केंद्रों में जाकर प्रशिक्षण देने और उनका सामान्य रीति.नीति से विवाह करने का हर संभव प्रयास करेंगे या जीवन भर ब्रह्मचर्य जीवन व्यतीत करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे. स्वामी रामदेव ने समलैंगिकता को सामाजिक और नैतिक अपराध करार देते हुए कहा कि क्या कोई भी कानून विशेषज्ञ, न्यायविद् और राजनीतिक नेता अपने बेटे या बेटी के समलैंगिक संबंधों पर सहमत होगा.
सभ्य समाज के लिए शर्म की बात
उन्होंने कहा कि यदि हमारे माता-पिता समलैंगिक होते तो हम पैदा ही नहीं होते और यदि हम समलैंगिक होंगे तो हमारे बच्चे ही पैदा नहीं होंगे. उन्होंने कहा कि इस प्रकार बीमार मानसिकता वाले समुदाय को प्रोत्साहन देना एक सभ्य समाज के लिए शर्म की बात है.
पारिवारिक ताने-बाने को तोड़ने का षडयंत्र गलत
रामदेव ने कहा कि आज दुनिया भर में भारतीय पारिवारिक तंत्र प्रणाली को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. उन्होंने सवाल किया कि समलैंगिकता रूपी भ्रष्टाचार से हमारे पारिवारिक ताने-बाने को तोडने का कोई षडयंत्र तो नहीं किया जा रहा है.