अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी ने साल 2020 में दोबारा दिल्ली की सत्ता में बड़ी जीत हासिल की. लेकिन क्या अब आम आदमी पार्टी 'मिशन राष्ट्रीय पार्टी' की तरफ चल पड़ी है. पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल क्या एक बार फिर दिल्ली से आगे बढ़कर पार्टी को दूसरे राज्यों में ले जाने की तैयारी में लग गए हैं. कोविड काल में जब हर ओर राज्य सरकारें इस महामारी से निबटने में लगी हैं, तब क्या अरविंद केजरीवाल कोरोना को लेकर दिल्ली मॉडल की चर्चा कर दूसरे राज्यों में अपनी जमीन तलाश रहे हैं.
16 अगस्त को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का जन्मदिन था. इस साल 15 अगस्त को जब केजरीवाल अपने कार्यकर्ताओं से मुखातिब हुए तो उन्होंने कहा कि उन्हें अपने जन्मदिन पर कोई तोहफा नहीं चाहिए, बल्कि अगर कोई कुछ देना ही चाहता है तो ऑक्सीमीटर दे. जिससे ग्रामीण इलाकों में कोरोना के मरीजों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचा सकें. जाहिर है, केजरीवाल ने दिल्ली में भी स्वास्थ्य और शिक्षा के मॉडल को लेकर ही लोगों से वोट मांगे थे.
अरविंद केजरीवाल की नजरें, अब 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले होने वाले कई अन्य अहम चुनावों पर हैं. खासकर 2022 में होने वाले पांच चुनावों पर. अब तक दिल्ली में सत्ता चलाने वाली आम आदमी पार्टी खुद को राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा दावेदार बनाना चाहती है. राजस्थान में सियासी अनिश्चितता के दौरान आम आदमी पार्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस पर निशाना साधा और दावा किया कि वो बीजेपी को रोकने में फेल रही है. इससे तस्दीक होती है कि पार्टी अब दूसरे राज्यों की तरफ रुख करने को लेकर भी बेताब हो रही है.
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इतना ही नहीं, आम आदमी पार्टी ने पिछले दिनों गोवा में एक कैंपेन चलाया. उन्होंने लोगों को यह बताया कि कांग्रेस, बीजेपी को सरकार बनाने में मदद कर रही है. आम आदमी पार्टी सभी राज्यों में खुद को बीजेपी और कांग्रेस के विकल्प के तौर पर पेश कर रही है. पार्टी कोशिश कर रही है कि वो कांग्रेस के साथ-साथ बीजेपी के वोट बैंक में भी सेंध लगा सके. यही वजह है कि पार्टी कई विवादास्पद मुद्दे, जैसे- सीएए-एनआरसी और चीन विवाद को लेकर काफी संभल कर अपनी राय रख रही है.
क्या है मिशन 2022?
साल 2022 में कई महत्वपूर्ण विधानसभा चुनाव होने हैं. उनमें सबसे ज्यादा अहम चुनाव सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश का है. इसके अलावा पंजाब में भी उसी साल चुनाव होने हैं. हालांकि, पार्टी दिल्ली के बाद पंजाब में ही खुद को काफी मजबूत देखती है. पंजाब-यूपी के अलावा, आम आदमी पार्टी के लिए दो और छोटे राज्य काफी अहम हैं, जहां 2022 में ही चुनाव होने हैं. वो हैं उत्तराखंड और गोवा.
आम आदम पार्टी गोवा में पिछली बार भी काफी मजबूती से चुनाव लड़ी, लेकिन कामयाबी कुछ खास नहीं मिल पाई. 2022 में होने वाले इन चार विधानसभा चुनाव के अलावा एक बेहद खास पांचवा चुनाव भी है, जो पार्टी के लिए किसी वाटरलू से कम नहीं होगा. वो चुनाव है दिल्ली नगर निगम का, जहां पिछली बार बीजेपी ने उसे बुरी तरह से शिकस्त दी थी.
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पार्टी ने इन सभी चुनावों की तैयारी अभी से ही शुरु कर दी है. दिल्ली विधानसभा चुनाव के ठीक बाद ही इन पांचों चुनावों के मद्देनजर प्रभारियों की घोषणा करके काम शुरु कर दिया गया था. हालांकि बीच में कोरोना की वजह से उनका मिशन प्रभावित हो गया. लेकिन पार्टी एक बार फिर से अब अपने मिशन पर लग गई है.
संजय सिंह संभालेंगे यूपी की कमान
उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है. वहां की राजनीति भी कई अन्य राज्यों की तुलना में थोड़ी अलग है. इसलिए केजरीवाल ने राज्य की कमान अपने सबसे अनुभवी नेता संजय सिंह को सौंपी है. संजय सिंह, उत्तर प्रदेश के ही रहने वाले हैं, साथ ही प्रदेश राजनीति में सक्रिय भी रहे हैं. पिछले कुछ दिनों से संजय सिंह लखनऊ और उत्तर प्रदेश में ही डटे हुए हैं. वह कई मुद्दों को लेकर लगातार योगी सरकार पर हमला बोल रहे हैं. कुछ बयानों के चलते सरकार ने उनपर मुकदमा भी कर दिया है. पार्टी के लिए सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि यहां पर पहले से ही कई पार्टियां मौजूद हैं. ऐसे में आम आदमी के लिए यहां अपनी जगह बना पाना आसान नहीं होगा.
पंजाब पर फोकस
आम आदमी पार्टी के सियासी गणित में पंजाब का हिस्सा काफी बड़ा है. पार्टी के एक मात्र लोकसभा सांसद भगवंत मान, पंजाब से ही आते हैं. पिछले चुनावों में पंजाब से पार्टी को काफी उम्मीद थी, लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह के हाथों पार्टी हार गई. आम आदमी के लिए राहत की बात यह है कि वह प्रदेश में अकाली दल को पीछे छोड़ते हुए मुख्य विपक्षी दल बन गई है. हालांकि पार्टी को कई नेताओं के बगावत का भी सामना करना पड़ा.
अब भगवंत मान को पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. पार्टी को पंजाब की सत्ता तक पहुंचाने की कमान उनको ही सौंपी गई है. भगवंत मान का साथ देने के लिए दिल्ली के तिलक नगर से युवा विधायक जरनैल सिंह को भेजा गया है. जरनैल की सिख वोटरों में अच्छी पकड़ मानी जाती है, क्योंकि तिलक नगर विधानसभा में ही सिख दंगों के सबसे ज्यादा पीड़ित रहते हैं.
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गोवा-उत्तराखंड पर भी नजर
इन दो छोटे राज्यों में भी 2022 में ही विधानसभा चुनाव होने हैं. गोवा में पिछली दफा भी आम आदमी पार्टी पूरे दम से चुनाव लड़ी थी, लेकिन कामयाबी कुछ खास नहीं मिल पाई. तब पूर्व पत्रकार आशुतोष को पार्टी ने वहां का प्रभारी बनाया था. इस बार कमान आतिशी मार्लेना को सौंपी गई है, जो दिल्ली में कालका जी विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. आतिशी को दिल्ली की शिक्षा क्रांति में अहम रोल निभाने के लिए जाता है.
दूसरी ओर उत्तराखंड में भी आम आदमी पार्टी अपनी चुनावी शुरुआत 2022 में ही करना चाहती है. दरअसल, दिल्ली में उत्तराखंड के लोगों की एक बड़ी आबादी है. आम आदमी पार्टी की रणनीति ये है कि जब से ये पर्वतीय राज्य उत्तर प्रदेश से अलग हुआ है तब से काफी पिछड़ा है. इसलिए उत्तराखंड में दिल्ली मॉडल को बेहतर तरीके से लागू किया जा सकता है. इस राज्य में दिल्ली के विधायक दिनेश मोहनिया को पार्टी ने प्रभारी बनाया है, जिनके जिम्मे पहले पहले प्रदेश में संगठन को दुरुस्त करने की चुनौती है. शुरुआती तौर पर हर विधानसभा में दो-दो प्रभारी बनाए गए हैं.
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एमसीडी चुनाव भी होंगे अहम
एमसीडी चु्नाव भी आम आदमी पार्टी के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं. साल 2017 में दिल्ली में सत्ता होने के बावजूद देश के सबसे अहम स्थानीय निकायों में एक दिल्ली नगर निगम में आम आदमी पार्टी को करारी हार झेलनी पड़ी थी. इस बार दिल्ली में डबल इंजन की सरकार चलाने के लिए एमसीडी चुनावों को जीतना काफी अहम होगा. इसलिए दिल्ली में अभी से पार्टी इन चुनावों की तैयारी में लग गई है.
दिल्ली के प्रभारी और मंत्री गोपाल राय ने जिले और ब्लॉक लेवल पर प्रभारियों की घोषणा कर दी है. साथ ही साथ बीजेपी शासित एमसीडी को लेकर अब पार्टी ने ताबड़तोड़ हमले भी शुरु कर दिए हैं. नगर निगम चुनाव इसलिए भी अहम होंगे, क्योंकि 2007 से बीजेपी ने लगातार तीन बार ये चुनाव जीते हैं और तीनों एमसीडी पर अपना दबदबा लगातार बरकरार रखा है.
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यानि कुल मिलाकर अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने साल 2022 पर अपनी सारी उम्मीदें टिका रखीं हैं. पार्टी को अगर इन चुनावों में कामयाबी हासिल होती है तो वो साल 2024 के लोकसभा चुनावों में भी खुद को राष्ट्रीय विकल्प के तौर पर प्रोजेक्ट करने पर विचार करेगी.