भाजपा के अर्जुन मुंडा झारखंड के नये मुख्यमंत्री होंगे और वह मुख्यमंत्री शिबू सोरेन से 25 मई को सत्ता की बागडोर संभालेंगे.
भारतीय जनता पार्टी एवं झारखंड मुक्ति मोर्चा के बीच पिछले 21 दिनों से राज्य में नयी सरकार के गठन को लेकर चल रही रस्साकशी मंगलवार को दोनों दलों के बीच 28-28 माह के लिए सरकार गठन पर हुई सहमति के बाद समाप्त हो गयी जिसके बाद स्वयं मुख्यमंत्री शिबू सोरेन तथा भावी मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में इस बात की घोषणा की.
बाद में भाजपा नेताओं ने बताया कि सत्ता हस्तांतरण के लिए 25 मई की तिथि निश्चित की गयी है और उसी दिन भाजपा के अर्जुन मुंडा की ताजपोशी होगी.
मुख्यमंत्री शिबू सोरेन एवं भाजपा के नेता और भावी मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने सोरेन के निवास पर आयोजित संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में घोषणा की कि दोनों पार्टियों में राज्य में विधानसभा के बचे 56 माह के कार्यकाल के दौरान 28-28 माह के लिए बारी-बारी से सरकार बनाने पर सहमति बन गयी है. {mospagebreak}
उन्होंने कहा कि राज्य में पहले 28 माह के लिए भाजपा के अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में सरकार का गठन होगा जबकि इसके बाद के 28 माह के लिए झामुमो के नेतृत्व में सरकार का गठन होगा. ज्ञातव्य है कि 82 सदस्यीय राज्य विधानसभा में भाजपा और झामुमो के 18-18 उनके सहयोगी दलों आजसू के पांच और जद यू के दो विधायक हैं जबकि उन्हें एक निर्दलीय तथा एक मनोनीत विधायक का भी समर्थन हासिल है.
मंगलवार की इस घोषणा से दोनों दलों के बीच राज्य में सरकार गठन को लेकर पिछले 21 दिनों से चला आ रहा सस्पेंस समाप्त हो गया है और अब यहां इन दलों की मिली जुली सरकार के पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करने की संभावना है. इससे पूर्व भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व के निर्देश पर रविवार से ही यहां नयी सरकार के गठन के लिए सक्रिय पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने राज्य के मुख्यमंत्री शिबू सोरेन और भाजपा विधानमंडल दल के सदस्यों से कई दौर की मुलाकात के बाद सोमवार को कहा था 'नयी सरकार के गठन का रास्ता साफ हो गया है और बहुत जल्दी ही यहां भाजपा के नेतृत्व में सरकार गठित हो जायेगी.'
इससे पहले भाजपा के नेतृत्व में यहां सरकार के गठन को लेकर झामुमों में उभर रहा विरोध का स्वर भी अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में सरकार बनाने की तैयारी को देखते हुए दब गया था. मुंडा को राजनीतिक गठजोड़ बनाने में महारथी माना जाता है और इसी बात के मद्देनजर भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व ने उन्हें मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपने का फैसला किया था. {mospagebreak}
संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में मुख्यमंत्री शिबू सोरेन ने सत्ता हस्तांतरण की तिथि के बारे में पूछे जाने पर सिर्फ इतना कहा 'बहुत जल्द ही सत्ता हस्तांतरण हो जायेगा' लेकिन उन्होंने इसके लिए निश्चित तिथि नहीं बतायी. लेकिन बाद में भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्षा एवं झारखंड की प्रभारी करुणा शुक्ला ने स्पष्ट किया कि राज्य में सत्ता हस्तांतरण के लिए 25 मई की तिथि तय की गयी है और उसी दिन मुख्यमंत्री शिबू सोरेन अपने पद से इस्तीफा देगें तथा बाद में उसी दिन भाजपा के अर्जुन मुंडा शपथ ग्रहण करेंगे.
संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में शिबू सोरेन और अर्जुन मुंडा के अलावा भाजपा उपाध्यक्ष करुणा शुक्ला तथा आजसू एवं झामुमो के अनेक अन्य नेता तथा विधायक मौजूद थे. इससे पूर्व मुख्यमंत्री आवास पर ही मंगलवार को मुख्यमंत्री शिबू सोरेन और झामुमो के अन्य नेताओं के साथ भाजपा के अर्जुन मुंडा, करुणा शुक्ला, उपमुख्यमंत्री रघुवर दास एवं आजसू नेताओं की लगभग दो घंटे लंबी बैठक चली जिसमें विचार विमर्श के बाद दोनों दलों के समझौते के बारे में सार्वजनिक घोषणा की गयी. इससे पूर्व भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने सोमवार शाम ही इस बात के संकेत दे दिये थे कि मंगलवार को झारखंड के सस्पेंस के खत्म हो जाने के पूरे आसार हैं. {mospagebreak}
पिछले माह की 28 तारीख को भाजपा ने सोरेन के नेतृत्व वाली चार माह पूर्व गठित सरकार से समर्थन वापसी की उस समय घोषणा कर दी थी, जब मुख्यमंत्री शिबू सोरेन ने भाजपा द्वारा लाये गये कटौती प्रस्ताव के विरोध में लोकसभा में मतदान कर दिया था. भाजपा की समर्थन वापसी की घोषणा के बाद से ही राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का दौर शुरू हो गया था.
लेकिन भाजपा ने जैसे ही समर्थन वापसी का पत्र सौंपने के लिए राज्यपाल से समय मांगा झामुमो के विधायक दल के नेता और मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के बेटे हेमंत सोरेन ने राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार को समर्थन देने की घोषणा कर पूरा राजनीतिक परिदृश्य बदल दिया.
हेमंत सोरेन के नये प्रस्ताव और उसके बाद झामुमो के साथ लगातार चली बैठकों के दौर के बाद नयी दिल्ली में भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने आठ मई को घोषणा की कि भाजपा शेष साढ़े चार साल के लिए झारखंड में नयी सरकार का नेतृत्व करेगी. भाजपा की इस घोषणा के तुरंत बाद झामुमो ने एक बार फिर अपना पैंतरा बदला और भाजपा के सामने राज्य में बारी बारी से 28-28 महीने के लिए सरकार गठित करने की शर्त लगा दी. {mospagebreak}
झारखंड में पल पल बदलते राजनीतिक हालात के मद्देनजर भाजपा संसदीय बोर्ड ने दो केंद्रीय पर्यवेक्षकों पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह एवं महासचिव अनंत कुमार को 11 मई को रांची भेजा. यहां भी दोनों पर्यवेक्षकों ने झामुमो नेताओं और भाजपा नेताओं से बातचीत के बाद भी नयी सरकार के बारे में कोई स्पष्ट घोषणा नहीं की. दोनों नेताओं ने एक बार फिर नयी सरकार के गठन का दारोमदार भाजपा केंद्रीय नेतृत्व पर छोड़ दिया और वे दिल्ली वापस चले गये.
इस बीच, भाजपा और झामुमो के बीच राज्य में नयी सरकार के गठन को लेकर 21 दिनों से चल रहे गतिरोध को देखते हुए यहां 11 विधायकों वाले झारखंड विकास मोर्चा ने राज्यपाल एम ओ एच फारूक से शिबू सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार को बखर्स्त करने की मांग की.
कांग्रेस और झारखंड विकास मोर्चा की हस्तक्षेप की मांग को देखते हुए राज्यपाल फारूक ने पिछले तीन दिनों से सक्रियता बढ़ा दी थी और सोमवार को जब उन्होंने राज्य के महाधिवक्ता आर एस मजूमदार को राजभवन तलब किया तो एकाएक भाजपा और झामुमो में गतिरोध दूर करने का दवाब बढ़ गया.
मंगलवार भी एक तरफ जब मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के आवास पर भाजपा-झामुमो और सहयोगी दलों की महत्वपूर्ण बैठक चल रही थी वहीं दूसरी तरफ राज्यपाल महाधिवक्ता से वर्तमान परिस्थितियों में संविधान के अनुसार हस्तक्षेप के बारे में चर्चा कर रहे थे.