सोमवार को मुख्य महानगर दंडाधिकारी (सीएमएम) ने सवाल किया कि ऐसा क्यों है कि घटना के 35 साल बीत चुके हैं और इतने सालों के बाद भी आगे की जांच के लिए कई निर्देश पारित किए जा चुके हैं, गवाह काफी हिचकिचाहट व प्रयास के बाद आगे आए हैं, तब भी जांच एजेंसी धारा 161 के तहत बयान से संतुष्ट है, जिस पर न तो गवाहों के हस्ताक्षर हैं और जिसका सबूत के तौर पर कोई मोल नहीं है?
कोर्ट ने एजेंसी से इस पर एक रिपोर्ट मांगी और मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को तय कर दी है. कोर्ट ने कहा कि घटना 35 साल पुरानी है, इसके मद्देनजर कोर्ट उम्मीद करेगा कि जांच एजेंसी तेजी से कार्य करने को लेकर अपनी संवेदनशीलता दिखाएगी और एक उचित रिपोर्ट दायर करने में 15 दिनों से ज्यादा का समय नहीं लेगी.
कोर्ट ने जांच अधिकारी को सुनवाई के दौरान जांच में गिनायी गई खामियों के बारे में 15 दिन के भीतर एक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. इस मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी. मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरज्योत सिंह भल्ला ने कहा कि घटना के 35 साल बाद, जहां इस देश के लोगों को जिंदा जला दिया गया था, जांच एजेंसियों ने यह दिखाने की कोशिश की है कि वे पीड़ितों को न्याय दिलाएंगी. जबकि एजेंसियों के आचरण के बारे में रिकार्ड, मेरे नजरिए में कुछ दूसरी ही चीज बयां करती है.
कोर्ट; ने कहा कि मामले में गवाह वर्मा का पॉलिग्राफी टेस्ट कराने के लिए चार दिसंबर 2015 को जारी आदेश के बावजूद सीबीआई ने अगले तीन साल तक यह परीक्षण नहीं कराया गया और अंतत: यह चार दिसंबर 2018 को हुआ.