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आतंक के खिलाफ भारत से सहयोग करेगा अमेरिका

आजतक को मिली जानकारी के मुताबिक अमेरिका अब यह मानता है कि आईएसआई और पाकिस्तानी सेना के कुछ अधिकारी भारत में आतंकी हमले कराने में अहम भूमिका निभाते हैं. संभव है कि मनमोहन सिंह के दौरे में अमेरिका कंधे से कंधा मिलाकर चलने को तैयार हो जाए.

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आजतक को मिली जानकारी के मुताबिक अमेरिका अब यह मानता है कि आईएसआई और पाकिस्तानी सेना के कुछ अधिकारी भारत में आतंकी हमले कराने में अहम भूमिका निभाते हैं. संभव है कि मनमोहन सिंह के दौरे में अमेरिका कंधे से कंधा मिलाकर चलने को तैयार हो जाए.

चार दिनों की अमेरिकी यात्रा पर निकले भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से अमेरिका आतंक के खिलाफ लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर चलने का संकल्प ले सकता है. ऐसा लगता है कि अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान मनमोहन सिंह आतंक और उसके आकाओं पर अंकुश लगाने की भारत अमेरिकी साझेदारी पर काफी जोर देंगे. माना जा रहा है कि मनमोहन सिंह की यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका के बीच आतंकवाद से निपटने के मसले पर एक मेमोरैंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग पर हस्ताक्षर होंगे, जिसके बाद आतंकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए कई तरह के उपकरण भारत को दिए जाएंगे.

मनमोहन सिंह का दूसरा बड़ा लक्ष्य है परमाणु करार को पूरी तरह अमल में लाना. माना जा रहा है कि परमाणु ईंधन के दोबारा इस्तेमाल के मसले पर अमेरिकी सरकार और भारतीय पक्ष के बीच जो मतभेद पिछले एक साल से चले आ रहे हैं, उसका निपटारा मनमोहन सिहं की बातचीत के बाद निकल आयेगा. सरकारी सूत्रों के मुताबिक मनमोहन-ओबामा के साझा बयान से पहले इस पेचीदा मसले का हल दोनों पक्ष निकाल लेंगे. इसके साथ ही भारत में परमाणु रिएक्टर लगाने का रास्ता अमेरिकी कंपनियों के लिए खुल जाएगा.

इसके अलावा प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान रक्षा उपकरणों और सैनिक साजोसामान की खरीद पर भी दोनों पक्ष बातचीत करेंगे, जिसमें अहम है वायुसेना के लिए 126 लड़ाकू विमान हासिल करना.

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