भारत को ‘उभरती हुई वैश्विक ताकत’ की संज्ञा देते हुए अमेरिका ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के विस्तार के दौरान भारत को स्थाई सदस्यता पर विचार के लिए वह ‘निश्चित तौर पर प्रतिबद्ध’ है.
अपनी तरह की पहली भारत-अमेरिका रणनीतिक वार्ता की शुरूआत करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन इन ‘शंकाओं’ को भी कम करने का प्रयास करती दिखीं कि अमेरिका भारत को हमेशा अफगानिस्तान और पाकिस्तान के ‘संदर्भ’ में ही देखता है.
हिलेरी ने कहा कि अमेरिका का मानना है कि भारत स्थानीय और वैश्विक मामलों में अपनी भूमिका को अंगीकार नहीं कर रहा.
भारत-अमेरिका रणनीतिक वार्ता के उद्घाटन सत्र की समाप्ति के बाद विदेश मंत्री एस एम कृष्णा के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए हिलेरी ने कहा ‘‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के पुनर्गठन के बारे में अब तक आगे की राह तय नहीं हुई है, लेकिन हम भारत के बारे में विचार करने के लिए निश्चित तौर पर प्रतिबद्ध हैं. इस समय, जैसा कि संभवत: आप भी जानते हैं, इस बारे में कोई सहमति नहीं बनी है.’’ रणनीतिक वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान की स्थितियों के बारे में चर्चा की और सुरक्षा, रक्षा, परमाणु उर्जा, जलवायु परिवर्तन, शिक्षा और कृषि के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का फैसला किया.{mospagebreak}
दोनों पक्षों ने जलवायु परिवर्तन पर नई वार्ता शुरू करने और खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर कामकाजी समूह बनाने का भी फैसला किया. दोनों पक्ष अगले साल नयी दिल्ली में फिर मिलने के लिए भी तैयार हुए. कृष्णा ने कहा कि दोनों देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय आर्थिक खाके, वैश्विक राजनीति और सुरक्षा ढ़ांचे और सुरक्षा परिषद् के पुनर्गठन के बारे में बात हुई.
उन्होंने कहा कि दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि आतंकी समूह संगठित होकर काम कर रहे हैं.
पाकिस्तान का नाम लिए बिना कृष्णा ने कहा ‘‘इसलिए आतंकवाद की ओर एक खंडित रुख, खास तौर पर हमारे पड़ोस में, सफल नहीं होगा.’’ उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच आतंकवाद निरोधी सहयोग से भारत खुश है और दोनों इसे और व्यापक करने पर सहमत हुए हैं.
हिलेरी ने भारत को एक ‘अत्यावश्यक सहयोगी’ और ‘विश्वसनीय मित्र’ की भी संज्ञा दी.{mospagebreak}
उन्होंने कहा ‘‘हमारा मानना है कि उभरता भारत अमेरिका और दुनिया दोनों के लिए अच्छा है. हमारे दोनों देशों की, महान लोकतंत्रों की उर्जावान और आपस में जुड़ी अर्थव्यवस्थाओं से समझ आता है कि इस नई शताब्दी में हमारे भविष्य एक-दूसरे से जुड़े हैं.’’
उन्होंने कहा ‘‘हमारे लोग आज पहले से कहीं ज्यादा जुड़े हैं और हम जो जटिल वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, उनका अमेरिका और भारत बिना एक-दूसरे के सहयोग के सामना नहीं कर सकते.’’ इस बात पर जोर देते हुए कि भारत और अमेरिका दोनों ही हिंसक चरमपंथ का सामना कर रहे हैं, हिलेरी ने कहा कि उन्होंने एशिया और दूसरे स्थानों पर रक्षा, स्थिरता और समृद्धि लाने में भारत के नेतृत्व की भूमिका के बारे में कृष्णा के साथ बात की. दोनों देश सूचना की भागीदारी और क्षमता संवर्धन बढ़ाने के लिए कदम उठाने और साइबर सुरक्षा के मामले में सहयोग पर सहमत हुए हैं.
हिलेरी ने कहा ‘‘हम पहले से चल रही सैन्य-सैन्य भागीदारी को और गहन कर रहे हैं.’’ कृष्णा ने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों ही कोरियाई प्रायद्वीप समेत एशिया के घटनाक्रमों से चिंतित हैं.
उन्होंने कहा ‘‘एशिया में सुरक्षा और स्थिरता लाने का हमारा साझा हित है.’’ कृष्णा ने कहा कि भारत और अमेरिका का स्थिर, शांत और लोकतांत्रिक अफगानिस्तान बनाने का साझा उद्देश्य है, जो अफगानिस्तान के हर वर्ग के अधिकार और सम्मान की रक्षा करे.
उन्होंने कहा ‘‘भारत और अमेरिका इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सहभागी हैं. मैंने अमेरिका को अपने इन विचारों से भी अवगत कराया है कि ये उद्देश्य अफगानिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं से ही पूरे हो सकते हैं.’’