पूर्व केंद्रीय कोयला सचिव पीसी पारेख ने सोमवार को कहा कि 2004 के बाद सभी कोयला मंत्री कोयला ब्लॉक आवंटन में पारदर्शिता के लिए जिम्मेदार रहे हैं. पारेख ने समाचार चैनल सीएनएन-आईबीएन से कहा, '2004 के बाद कोयला मंत्रालय का प्रभार संभाल चुके सभी कोयला मंत्री पारदर्शी व्यवस्था न लागू करने के लिए जिम्मेदार हैं.'
पारेख की टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में 1993 से लेकर अब तक हुए सभी कोयला ब्लॉक आवंटनों को अवैध करार दे दिया.
इस बीच कांग्रेस ने यह कहते हुए अपने नेताओं का बचाव किया कि उन्होंने पहले से मौजूद आवंटन मॉडल का अनुसरण किया. कांग्रेस नेता शकील अहमद ने कहा, 'हम उसी तरीके का अनुसरण कर रहे थे, जिसे एनडीए सरकार ने अपनाया था. हमने तो वास्तव में प्रक्रिया को ज्यादा पारदर्शी बनाया.'
अहमद ने कहा, 'एनडीए के कार्यकाल में एक भी कोयला ब्लॉक विज्ञापन के जरिए आवंटित नहीं हुआ था. यूपीए के कार्यकाल में एक भी कोयला ब्लॉक बगैर विज्ञापन के आवंटित नहीं हुआ.'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 1993 से हुए कोयला ब्लॉक आवंटन अवैध, मनमाने, अपारदर्शी और प्रक्रिया विहीन रहे हैं. लेकिन कोर्ट ने कोयला ब्लॉकों के आवंटनों को तत्काल रद्द करने का कदम रोक लिया, क्योंकि इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं.