मणिपुर सरकार ने कई दिनों से चल रहे राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन के बाद रविवार को विवादित मणिपुर रेगुलेशन ऑफ विजिटर्स और माइग्रेंट वकर्स बिल को वापस ले लिया है. यह बिल मूल लोगों के हितों की रक्षा से संबंधित था. इस ओर विरोध प्रदर्शन के दौरान पिछले सप्ताह पुलिस और प्रदर्शनकारियों की झड़प में एक छात्र की मौत हो गई थी.
मुख्यमंत्री के सचिव एन अशोक कुमार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राज्य सरकार ने मणिपुर आंगुतक और प्रवासी कामगार विधेयक, 2015 को वापस लेने का फैसला किया है. बयान के मुताबिक, विधानसभा ने 16 मार्च को इस विधेयक को पारित किया था. जल्द ही इस ओर विधानसभा की विशेष बैठक बुलाई जा रही है.

क्यों कर रहे थे विरोध
इस विधेयक का वे लोग विरोध कर रहे थे जो राज्य में इनर लाइन परमिट (आईएलपी) लागू करने की मांग कर रहे हैं. उनका आरोप है कि सरकार ने राज्य के मूल लोगों के हितों के लिए कुछ खास नहीं किया. गुरुवार को पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में एक छात्र की मौत के बाद अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया था. स्थिति में सुधार आने पर शनिवार को कर्फ्यू में ढील दी गई.
क्या है इनर लाइन परमिट
इनर लाइन परमिट (आईएलपी) भारत सरकार की ओर जारी किया जाने वाल वह दस्तावेज है जो एक सीमित अवधि के लिए एक संरक्षित या प्रतिबंधित क्षेत्र में एक भारतीय नागरिक की यात्रा की अनुमति देता है. यह दस्तावेज सुरक्षित राज्य में प्रवेश करने के लिए उन राज्यों के बाहर से आए भारतीय नागरिकों के लिए अनिवार्य है.