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केंद्र ने मेघालय से हटाया AFSPA, अरुणाचल के कुछ इलाकों में ढील

पूर्वोत्तर राज्यों में साल 2017 से सुरक्षा के लिए तैनान जवानों की मौत की घटनाओं में 30 फीसद की गिरावट आई है साथ ही आम नागरिकों की मौत के आंकड़े भी 23 फीसद कम हुए हैं.

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गश्त करते सेना के जवान (फाइल फोटो)
गश्त करते सेना के जवान (फाइल फोटो)

पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए मेघालय से आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट (AFSPA) हटाने का निर्णय किया है. मेघालय के अलावा अरुणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों से भी इस कानून को हटा दिया गया है. इस कानून तहत सुरक्षाबलों को विशेषाधिकार हासिल हैं जिसका स्थानीय लोग लगातार विरोध करते आए हैं.

गृह मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक यह फैसला 31 मार्च से अमल में आ गया है. इसके अनुसार पूरे मेघालय से इस कानून को हटाया गया है. साथ ही असम के सीमावर्ती इलाकों के 16 पुलिस स्टेशनों और आउटपोस्ट से घटाकर 8 तक सीमित कर दिया गया है. साल 2017 में पूर्वोत्तर में उग्रवादी घटनाएं 37 फीसदी तक घटी हैं और इसी के मद्देनजर गृह मंत्रालय ने यह फैसला लिया है.

पूर्वोत्तर राज्यों में साल 2017 से सुरक्षा के लिए तैनान जवानों की मौत की घटनाओं में 30 फीसद की गिरावट आई है साथ ही आम नागरिकों की मौत के आंकड़े भी 23 फीसद कम हुए हैं. सुदूर इलाकों को जोड़ने के लिए हेलिकॉप्टर सेवा को असम तक बढ़ाने का फैसला भी लिया गया है.

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गृह मंत्रालय ने बताया कि उग्रवादी संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (सोंगबिजीत) का असर भी कम हुआ है. हिंसा की घटनाओं पर लगाम लगाने के ऑपरेशन में (NDFB-S) के 63 काडर निष्क्रिय हुए हैं और इनमें में 1000 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है. दिसंबर 2014 से मार्च 2018 के बीच हुए ऑपरेशन में भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किए गए हैं.

इलाके में सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार ने इसी साल मार्च में 10 रिजर्व बटालियन बनाने की घोषणा की थी. इसमें असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और त्रिपुरा के लिए दो-दो बटालियन निर्धारित की थीं. इन नई बटालियन के खर्च में आने वाली लागत का 75 फीसदी और इनके लिए आधारभूत सुविधाएं बनाने में आने वाली लागत का 50 फीसदी केंद्र सरकार वहन करेगी. 

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