मणिपुर की मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला चानू ने राज्य में लागू विवादित ‘सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) को हटाने की मांग को लेकर मंगलवार को फिर से अनशन शुरू कर दिया था. बुधवार को उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया. उन पर अनशन के जरिए आत्महत्या की कोशिश का मामला लगाया जाएगा.
इरोम ने यहां की ऐतिहासिक शहीद मीनार परिसर में अपना अनिश्चितकालीन अनशन फिर से शुरू कर दिया था. गौरतलब है कि इरोम शर्मिला 15 साल से अनशन पर हैं और अदालत ने उन्हें सोमवार को ही आत्महत्या के प्रयास के आरोप से बरी कर दिया था.
इंफाल पश्चिम के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सोमवार को शर्मिला को न्यायिक हिरासत से रिहा करने का आदेश दिया, जिसके बाद वह जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस अस्पताल से निकलकर बाहर आईं और बड़ी संख्या में समर्थकों के साथ शहीद मीनार की ओर रवाना हो गईं.
अपनी मांग को लेकर दबाव बनाने के लिए शर्मिला ने वहां पहुंचकर अपना अनशन फिर शुरू किया. उन्होंने मीडिया को बताया कि वह अपना अहिंसक आंदोलन जारी रखेंगी और राज्य में व्याप्त अशांति के समाधान के लिए हिंसा का इस्तेमाल उचित नहीं है.
शर्मिला ने इस कानून को 'सख्त' बताते हुए इसे हटाने की मांग को लेकर 2000 में अपना अनशन शुरू किया था. इरोम ने अपनी भूख हड़ताल तब की थी जब 2 नवंबर के दिन मणिपुर की राजधानी इंफाल के मालोम में असम राइफल्स के जवानों के हाथों 10 बेगुनाह लोग मारे गए थे. उन्होंने इस उम्मीद के साथ अनशन शुरू किया था कि 1958 से अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, असम, नगालैंड, मिजोरम और त्रिपुरा में और 1990 से जम्मू-कश्मीर में लागू आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (अफस्पा) को हटवाने में वह महात्मा गांधी के नक्शेकदम पर चल कर कामयाब होंगी.