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सुरक्षा परिषद में जीत दर्शाती है भारत से विश्व की अपेक्षाएं: कृष्णा

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्य के तौर पर निर्वाचित होने के बाद उत्साहित भारत ने विश्व निकाय के विस्तार की स्थिति में स्थायी सदस्यता के लिए मजबूत दावा पेश करते हुए मंगलवार रात कहा कि उसे मिला व्यापक समर्थन अंतरराष्ट्रीय समुदाय की उससे अपेक्षाओं को दर्शाता है.

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्य के तौर पर निर्वाचित होने के बाद उत्साहित भारत ने विश्व निकाय के विस्तार की स्थिति में स्थायी सदस्यता के लिए मजबूत दावा पेश करते हुए मंगलवार रात कहा कि उसे मिला व्यापक समर्थन अंतरराष्ट्रीय समुदाय की उससे अपेक्षाओं को दर्शाता है.

विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने आज भारत को मिली जीत को उसकी स्थायी सदस्यता की महत्वाकांक्षा की दिशा में एक कदम करार दिया लेकिन वीटो के अधिकार के लिए जोर न देते हुए कहा कि इस अधिकार का हालिया वषरें में शायद ही किसी देश ने उपयोग किया है.

संयुक्त राष्ट्र के 191 सदस्य देशों में से 187 के वोट भारत के पक्ष में आने से मिली जीत का स्वागत करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि भारत अस्थायी सदस्य के तौर पर पूरी जिम्मेदारी के साथ काम करेगा क्योंकि उसे स्थायी सदस्यता के लिए पूरा समर्थन जुटाना है.

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उन्होंने कहा कि भारत परेशानियों भरे पड़ोस में रहता है और अस्थायी सदस्य के रूप में उसकी प्राथमिकता अपने पड़ोस में शांति तथा स्थिरता स्थापित करने की, आतंकवाद का मुकाबला करने की, सामूहिक विनाश के हथियारों का आतंकवादियों को प्रसार रोकने की और संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों को मजबूत करने की होगी.

विदेश मंत्री ने न्यूयार्क से परिणाम आने के तत्काल बाद संवाददाताओं से कहा कि संयुक्त राष्ट्र में भारत की दावेदारी को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समर्थन से बल मिला है.
वैश्विक परिदृश्य में बदलाव के लिए चल रही महत्वपूर्ण प्रक्रिया का भारत को अभिन्न हिस्सा बताते हुए कृष्णा ने कहा ‘हमें मिला समर्थन इस क्षेत्र में और अन्य घटनाक्रमों में भारत के योगदान को मिली मान्यता जाहिर करता है और वैश्विक समुदाय की भारत से अपेक्षाएं दर्शाता है.’{mospagebreak} उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद में काम करने के लिए भारत के पास शानदार रिकार्ड है और गैर स्थायी सदस्य के तौर पर अपने कार्यकाल का इस्तेमाल भारत अपने अन्य सहयोगियों में संतुष्टि की भावना जगाने तथा सुरक्षा परिषद में अपनी स्थायी उपस्थिति के लिए जरूरी समर्थन हासिल करने में करेगा.

संयुक्त राष्ट्र में, खास कर सुरक्षा परिषद में संरचनागत बदलावों के लिए जोर देते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि दो दशक पहले भारत में आखिरी बार विश्व निकाय में अपनी भूमिका निभाई थी और तब से आज के अंतरराष्ट्रीय हालात में कई बदलाव आ चुके हैं.

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उन्होंने कहा कि अगले माह अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह उनसे इस मुद्दे पर भी चर्चा करेंगे.

कृष्णा ने कहा ‘भारत की परंपरागत समझदारी और अंतरराष्ट्रीय शांति में योगदान की इच्छा का परिणाम सुरक्षा परिषद के फैसलों में हमारी रचनात्मक भागीदारी के तौर पर दिखेगा.’’ उन्होंने कहा कि भारत अपने जैसी विचारधारा वाले देशों के साथ मिलकर काम करता रहेगा, ताकि सुरक्षा परिषद् में ‘अत्यंत आवश्यक ढांचागत सुधार’ किए जा सकें.

कृष्णा ने रेखांकित करते हुए कहा ‘भारत ने राष्ट्र निर्माण में अनूठे योगदान दिए हैं. हम इस क्षेत्र के अपने अनुभव दुनिया के साथ साझा करना चाहते हैं.’’ एक सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि भारत अस्थाई सदस्य के तौर पर जिम्मेदारी से काम करेगा और जिन देशों को अब तक दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के स्थाई सदस्यता के दावे के संदर्भ में उस पर ‘विश्वास’ नहीं है, उन तक एक ‘संदेश’ पहुंचाएगा.{mospagebreak}

यह पूछे जाने पर कि क्या पाकिस्तान ने अस्थाई सदस्य के लिए भारत के दावे का समर्थन किया, कृष्णा ने कहा कि मतदान गुप्त होता है, इसलिए यह पता नहीं चल सकता कि किसने हमारे समर्थन में मतदान किया और किसने विपक्ष में.

संयुक्त राष्ट्र में हाल ही में कश्मीर के मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच हुए विवाद के संदर्भ में उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने अपने रुख बता दिए हैं, जिसका हम ‘सम्मान’ करते हैं और अब कोई ‘बुरे अहसास’ नहीं हैं.

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यह पूछे जाने पर कि क्या अस्थाई सदस्य के तौर पर भारत आतंकवाद को प्रायोजित करने पर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई के लिए दबाव बनाएगा, कृष्णा ने कहा कि देश ‘खुद जिम्मेदारी से काम’ करेगा और अपने ‘रुख को लेकर बहुत केंद्रित’ है. सुरक्षा परिषद् के विस्तारित रुप में स्थाई सदस्य के तौर पर शामिल होने के बारे में कृष्णा ने कहा कि 140 देशों ने ‘लिखित बातचीत’ का समर्थन किया है और भारत इस बारे में अपने प्रयास लगातार जारी रखेगा, जिसमें ‘थोड़ा समय’ लग सकता है.

कृष्णा ने कहा ‘‘हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दिखा देंगे कि सुरक्षा परिषद् में भारत की मौजूदगी दुनिया के लिए अच्छी है.’’ उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद् के सामने आने वाले सभी मुद्दों में भारत सक्रियता से और पूरी तरह भाग लेगा.

सुरक्षा परिषद् के पांच स्थाई सदस्यों के बारे में उन्होंने कहा कि ब्रिटेन और फ्रांस ने भारत के लिए स्थाई सदस्यता का समर्थन किया है, जबकि रुस ने ‘व्यापक सहमति’ के बाद सुधार का पक्ष लिया है.

यह पूछे जाने पर कि क्या भारत वीटो के अधिकार के लिए दबाव डालेगा, उन्होंने कहा कि ‘जहां तक हम जानते हैं, ऐसी शक्तियों का उपयोग बहुत कम ही होता है’ और इस बात पर भी ‘सवालिया निशान’ हैं कि क्या ‘हमें वीटो को और प्रभावी बनाना चाहिए.’’ ईरान पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के सवाल पर कृष्णा ने कहा कि भारत का सदा से यही रुख है कि इन मुद्दों का आपसी विमर्श से समाधान होना चाहिए और भारत इसी दिशा में काम करेगा.

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