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जानें साल 2010 में दुनिया की प्रमुख घटनाएं

साल 2010 जाने को है और 2011 आने को है. हम सभी आने वाले साल के स्‍वागत की तैयारियों में लगे हुए हैं किन्‍तु कुछ ऐसी प्रमुख घटनाएं हुईं, जिन्‍होंने दुनिया पर असर डाला और उनमें से कुछ प्रमुख घटनाओं का हम यहां उल्‍लेख कर रहे हैं.

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साल 2010 जाने को है और 2011 आने को है. हम सभी आने वाले साल के स्‍वागत की तैयारियों में लगे हुए हैं किन्‍तु कुछ ऐसी प्रमुख घटनाएं हुईं, जिन्‍होंने दुनिया पर असर डाला और उनमें से कुछ प्रमुख घटनाओं का हम यहां उल्‍लेख कर रहे हैं.

चीन का दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बनना

इस साल जून में खत्म हुई पहली तिमाही के नतीजों के आधार पर चीन ने जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने का गौरव हासिल कर लिया. साम्यवादी देश चीन की यह उपलब्धि कई मायनों में अहम मानी जाती है. चीन की करीब 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था ने 2010 में जून को समाप्त तिमाही में जापान को पीछे छोड़ दिया. इसके साथ ही चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है. 14, 200 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ अमेरिका नंबर वन और 1,290 अरब डॉलर के साथ भारत 11वें पायदान पर है. चीन ने कई मामलों में अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है. चीन ने पिछले साल अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए ऑटो मोबाइल बाज़ार में नंबर 1 का दर्जा हासिल कर लिया था वहीं जर्मनी को पछाड़कर निर्यात के मामले में पहला स्थान हासिल किया था.

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आंग सान सू की रिहाई

म्यांमार में लोकतंत्र बहाली की लड़ाई लड़ रही नोबेल पुरस्कार विजेता आंग सान सू की इस साल 13 नवंबर को रिहा हो गईं. सू ची करीब 15 साल तक नज़रबंद रहने के बाद रिहा हुई हैं. वे 20 जुलाई 1989 से 13 नवंबर, 2010 के बीच सार्वजनिक जीवन से दूर रही हैं. शांति और लोकतंत्र के लिए उनके संघर्ष को देखते हुए आधुनिक म्यांमार के संस्थापक माने जाने वाले आंग सान की बेटी सू की को 1991 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. म्यांमार के सैन्य शासन से लोहा लेने वाली सू की की रिहाई से म्यामांर में लोकतंत्र की बहाली की उम्मीद को बल मिला है. 1945 में जन्मीं सू की म्यांमार की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी की महासचिव हैं. सू की के संघर्ष को दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद और गैर बराबरी के खिलाफ लड़ने वाले अश्वेत नेता नैलसन मंडेला के संघर्ष की ही तरह आम तौर पर देखा जाता है.

विकीलीक्स के खुलासे

विकीलीक्‍स वेबसाइट ने इस साल नवंबर में अमेरिका के गुप्त राजनयिक दस्तावेजों का खुलासा करना शुरू किया तो दुनिया के सामने अमेरिका के कई चेहरे सामने आ गए. वेबसाइट द्वारा अमेरिकी दूतावासों से जुड़े ढाई लाख गोपनीय संदेश जारी किए गए जाने के बाद अमेरिका सहित पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया. इतिहास में खुफिया जानकारियों का इतना बड़ा खुलासा इससे पहले कभी नहीं हुआ था. विकीलीक्‍स ने इराक और अफगानिस्‍तान में अमेरिकी सेना की ज्‍यादती की पोल खोल कर अमेरिका की नींद उड़ा दी थी. इस वेबसाइट पर नई दिल्ली में मौजूद अमेरिकी दुतावास से ही भेजे गए करीब साढ़े तीन हजार दस्तावेज प्रकाशित किए जाएंगे. विकीलीक्स के खुलासे जारी हैं. विकीलीक्स द्वारा जारी किए दस्तावेजों में दुनिया के कई देशों और नेताओं के बारे में अमेरिका की सोच सामने आई है. विकीलीक्स वेबसाइट पर जारी किए जाने वाले दस्तावेज किसी देश की सरकार, कंपनी, संस्था या किसी धार्मिक संगठन के भी हो सकते हैं. 2006 में जूलियन असांजे नामक शख्‍स ने विकीलीक्स वेबसाइट की स्थापना की. असांजे पर दो महिलाओं के साथ ज़्यादती करने का आरोप है आजकल वह ज़मानत पर रिहा चल रहे हैं.{mospagebreak}

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उत्तर-दक्षिण कोरिया का संकट

कोरिया प्रायद्वीप के बंटवारे के समय से ही उत्तर-दक्षिण कोरिया के बीच विवाद रहा है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान से आज़ाद हुए कोरिया का बंटवारा हो गया जिसके बाद ये दो देश बने. 1950 में दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू हुआ और यह 1953 में जाकर खत्म हुआ. दोनों देशों के बीच तब से तनातनी चली आ रही है. दोनों देशों के बीच मुख्य रूप से सीमा को लेकर विवाद है. इस युद्ध के बाद से इस साल नवंबर में उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया के पोचेओन द्वीप पर गोलीबारी कर दी. इस गोलीबारी में चार दक्षिण कोरियाई नागरिक मारे गए, जिनमें दो सैनिक हैं. इस हमले के बाद दक्षिण कोरिया ने आक्रामक रवैया अपनाते हुए बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास शुरू कर दिए हैं. 1953 में युद्ध खत्म होने के बाद इसे पहला बड़ा हमला माना जा रहा है. उत्तर कोरिया परमाणु क्षमता का विकास कर रहा है, जिसे लेकर अमेरिका लगातार विरोध कर रहा है. उत्तर कोरिया को चीन, रूस और ईरान जैसे देशों का समर्थन हासिल जबकि दक्षिण कोरिया के साथ अमेरिका खड़ा है. साल के आखिरी दिनों में दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव से दुनिया दो खेमों में बंटती नज़र आ रही है.

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पाकिस्तान में आई भीषण बाढ़

इस साल जुलाई में पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा, सिंध, पंजाब और बलूचिस्तान में जबर्दस्त बारिश के बाद सिंधु नदी में बाढ़ आ गई. बाढ़ के चलते करीब 2,000 लोग मारे गए और लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा. सदी की सबसे भीषण बाढ़ से पाकिस्तान का पांचवां हिस्सा पानी में डूब गया था और इसकी वजह से 12 लाख से ज़्यादा मकान तबाह हो गए. पाकिस्तान सरकार के दावे के मुताबिक दो करोड़ लोग बाढ़ से प्रभावित हुए. सिंधु नदी में आई बाढ़ की वजह से पाकिस्तान को जबर्दस्त आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा. लाखों हेक्टेयर की फसल नष्ट हो गई है और लाखों लोगों को घर-बार छोड़कर विस्थापित होना पड़ा. संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान की मदद के लिए हाथ बढ़ाया. भारत ने भी इस मुश्किल वक्त में तमाम मतभेदों को अलग रख पाकिस्तान की मदद की. हालांकि, पाकिस्तान ने भारत से मदद सीधे तौर पर लेने से मना कर दिया. भारत ने संयुक्त राष्ट्र के जरिए मदद की. बाढ़ से प्रभावित करीब आठ लाख लोगों तक सिर्फ विमानों या हेलीकॉप्टर के ही जरिए पहुंचा जा सकता था.

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