राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने देश के लोगों से जाति, धर्म और संप्रदाय की संकीर्णता से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में काम करने का आहवान किया. बिहार विधान परिषद के शताब्दी वर्ष के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति ने कहा, ‘देश के विकास के लिए लोगों को जाति, धर्म और संप्रदाय से उठकर देशहित में काम करने की दरकार है.’
उन्होंने बिहार के इतिहास को सभ्यता और संस्कृति का इतिहास करार देते हुए कहा कि इसी प्रदेश में लिच्छिवियों ने सबसे पहले लोकतंत्र का बीज बोया था. बिहार की धरती ने देश को महान चिंतक और ज्ञानी दिये हैं. प्रतिभा ने कहा कि बिहार की धरती से वीर कुंवर सिंह जैसे महान सेनानी ने देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों से लोहा लिया तो भारत को स्वाधीन कराने वाले महात्मा गांधी ने 1917 में चंपारण आकर यहीं से आजादी के आंदोलन का बिगुल फूंका था. {mospagebreak}
प्रतिभा ने कहा कि बिहार की धरती पर ही सम्राट अशोक का उदय हुआ और उसके बाद चंद्रगुप्त प्रथम के शासनकाल को भारत का स्वर्णयुग कहा गया, जिसके काल में विज्ञान, गणित और दर्शन के क्षेत्र में बहुत प्रगति हुई. उन्होंने कहा विक्रमशिला और नालंदा प्राचीन में एक विकसित विश्वविद्यालय थे. यह बहुत खुशी की बात है कि बहुत से देशों के सहयोग से भारत में एक बार फिर नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की जा रही है. इसमें महात्मा बुद्ध की शिक्षा के साथ विभिन्न विषयों की शिक्षा दी जाएगी, जिसका लक्ष्य छात्रों और विद्वानों के बीच सद्भावना पैदा करना होगा.
बिहार को जैनियों के 24वें र्तीथकर भगवान महावीर, महात्मा बुद्ध और सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह, सूफी हजरत मनेरी की महिमामयी धरती बताते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे महान लोगों ने देश निर्माण में अभूतपूर्व योगदान किया. राष्ट्रपति ने उद्धृत किया, ‘गांधी ने कहा था कि यह बिहार ही था, जिसने भारत में उन्हें पहचान दिलाई.’ {mospagebreak}
प्रतिभा पाटिल ने कहा कि हमें गर्व होना चाहिए की देश में लोकतंत्र की जड़ें बहुत गहरी हैं और संविधान को अंगीकार करने के बाद भारत में 15 आम चुनाव के साथ विभिन्न राज्यों में कई विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल ने कहा कि सभी का यह प्रयास होना चाहिए कि प्रगति का लाभ समाज के हर तबके तक खासकर वंचित लोगों तक पहुंचे और कल्याण कार्यक्रमों का लाभ उन सभी तक पहुंचे, जिनके लिए वे बनाए गए हैं.
उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि लोगों को कार्यक्रमों के बारे में जानकारी हो और उन्हें इनके बारे में बताया जाए. पाटिल ने विश्वास व्यक्त किया कि बिहार विधान सभा, विधान परिषद इसमें अपनी भूमिका निभाएंगे और राज्य में पंचायती राज संस्थाओं को साथ लेकर मिल-जुलकर कार्य करेंगे. उन्होंने कहा, ‘बिहार संभवत: देश में ऐसे पहले राज्यों में से है जिसने पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को पचास प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया है. मैं इसके लिए बिहार सरकार को बधाई देती हूं.’ {mospagebreak}
राष्ट्रपति के रूप में बिहार की अपनी वर्ष 2008 की पहली यात्रा का स्मरण करते हुए पाटिल ने कहा कि तब वे मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के उद्घाटन के अवसर पर पटना आई थीं. उन्होंने कहा, ‘मैनें तब कहा था हमारा लक्ष्य यह होना चाहिए कि महिलाओं को काम करने के अवसर मिले उनके लिए सामाजिक परिवेश बनाया जाए, जिसमें महिलाएं सम्मान और गरिमा के साथ रह सकें और राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभा सकें.’
पाटिल ने कहा कि यह चिंता की बात है कि समाज में आज भी दहेज, बाल विवाह, बालिका भ्रूण हत्या तथा नशाखोरी जैसी सामाजिक बुराइयां जारी हैं. इन बुराइयों को समाप्त करने के लिए सम्मिलित प्रयास होने चाहिए. उन्होंने महिला तथा बालिका के प्रति समाज के दृष्टिकोण में बदलाव की आवश्यकता जताते हुए कहा कि महिलाओं की शिक्षा और उनके सशक्तीकरण की समाज के विकास और गरीबी उन्मूलन में बहुत अहम भूमिका है.
राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल ने कहा कि राज्य सरकारों को ऐसी योजनाएं चलानी चाहिए जिनसे बालिका शिक्षा को प्रोत्साहन मिले. उन्होंने कहा, ‘मुझे खुशी है कि बिहार सरकार ने महिला शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए कई प्रयास किए हैं और शिक्षकों की भर्ती में महिलाओं को पचास प्रतिशत आरक्षण दिया है’. पाटिल ने कहा कि विधायकों की ऐसी नीतियां तथा कानून बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका हो जो कि प्रगतिशील हो और विकास में सहायक हों. {mospagebreak}
उन्होंने प्रगति के लिए शिक्षा को अनिवार्य मानते हुए कहा कि उन्हें बताया गया है कि बिहार सरकार ने साक्षरता बढ़ाने की दिशा में तेजी से प्रयास आरंभ किए हैं. पाटिल ने कहा कि बिहार में बड़ी संख्या में युवा हैं, उनको अच्छी शिक्षा प्रशिक्षण तथा अच्छे मूल्य देकर आदर्श नागरिक बनाए जाने की जरूरत है.
बिहार को महर्षि बाल्मीकि, जैन धर्म के 24वें तीर्थकर भगवान महावीर और सिखों के 10वें गुरु गोविंद सिंह की जन्मस्थली, बौद्ध धर्म के प्रवर्तक भगवान बुद्ध की कार्यस्थली और सूफी मनेरी की स्थली बताते हुए पाटिल ने कहा कि देश की आजादी के लिए लड़ने वालों में बिहार का नाम प्रमुखता से आता है, इस भूमि के सुपुत्रों ने स्वतंत्रता संग्राम मे बढ़चढ़कर भाग लिया. बिहार के स्वतंत्रता संग्राम में बाबू वीर कुंवर सिंह के योगदान की चर्चा करते हुए पाटिल ने कहा कि हमारे राष्ट्रपिता स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी महानायक और महात्मा गांधी का 1917 में चंपारण आना एक ऐतिहासिक क्षण था.
उन्होंने कहा कि गांधी जी बिहार के इतिहास और उसकी संस्कृति से काफी प्रभावित थे और बाद में 1947 में जब वे पटना आए थे तो उन्होंने कहा था कि यह बिहार ही था जिसने मुझे भारत में पहचान दी. समारोह को बिहार के राज्यपाल देवानंद कुंवर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बिहार विधान परिषद के सभापति ताराकांत झा, बिहार विधानसभा के अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने भी संबोधित किया.