ये बैठक 4 नवंबर को हुई थी. आप सोच रहे होंगे कि फिर आज इस खबर की क्या दरकार है. दरअसल ये उस मीटिंग का किस्सा है जहां से होकर हमारे और आपके लिए लोकपाल बनने वाला है. लोकपाल की डेडलाइन शीतकालीन सत्र तक की थी. पीएम ने भी खत लिखकर अन्ना को भरोसा दिलाया था लेकिन पीएम के मुद्दे पर ही अब मामला अटकता दिख रहा है. हम आपको उस तारीख की बैठक की तमाम बातें बता रहे हैं, जो हमें अपने सूत्रों से पता लगी है.
लोकपाल का क्या होगा? अधिकार क्षेत्र क्या होगा? पीएम पर क्या फैसला? टीम अन्ना की मांगों पर कितनी सहमत सरकार? 4 नवंबर 2011 को जब स्टैंडिंग कमेटी की टीम अन्ना से बैठक हुई, तो सवाल उठने लगे कि टीम अन्ना ने जो डेडलाइन दी है, उसका क्या होगा. टीम अन्ना ने जो लोकपाल के दायरे में पीएम को रखने की मांग रखी थी, उसका क्या होगा.
टीम अन्ना और सरकारी पक्ष में मतभेद तो उस दिन भी दिख रहे थे लेकिन अब आजतक के हाथ कुछ ऐसी जानकारियां लगीं हैं, जो बताती हैं कि उस दिन स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में दोनों ओर से काफी गरमागरम बहस हुई थी.
आजतक ने इस बारे में टीम अन्ना के सदस्यों और स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों से बातचीत की जो जानकारी जुटाई, उसके मुताबिक, टीम अन्ना और सरकारी पक्ष में सबसे बड़ी बहस का मुद्दा है लोकपाल के दायरे में पीएम को लाने का. आजतक को मिली सूत्रों की जानकारी बताती है कि उस दिन बैठक में टीम अन्ना की तरफ से शांति भूषण ने कहा था कि क्या आप ऐसा चाहेंगे कि अगर पीएम रिश्वत ले तो पांच साल तक उनके खिलाफ कोई जांच ना हो. सारा संसार इस पर हंसेगा.
शांति भूषण के इस बयान पर बैठक में गरमागरमी हो गई. फिर इसमें दखल देते हुए स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष अभिषेक मनु सिंघवी ने इसमें जोड़ा कि ये आपका मत होगा. मीनाक्षी नटराजन ने शांति भूषण से कहा कि आप विनम्रता से बात कीजिए. हमने भी तो अपनी बात रखी है.
टीम अन्ना से खफा लालू प्रसाद यादव भी अपनी बात कहने को बैठे थे. आजतक को मिली जानकारी के मुताबिक लालू यादव ने कहा कि हम यहां सरकार की तरफ से भेजे गए लोकपाल बिल पर विचार कर रहे हैं जनलोकपाल पर नहीं. हम लोगों को बड़ी तकलीफ होती है कि कोई डिक्टेट करे कि ये करो वो करो. ये क्या हो रहा है हमारे देश में. कोई कहता है ये चोर है, इनको फांसी दो, सड़क पर मारो, ये क्या कहा जा रहा है.
4 तारीख की बैठक में और लोग भी थे अपनी बात रखने के लिए. आजतक को मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस सांसद भालचंद्र मुंगेकर ने प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने से ये कहकर मना करने की कोशिश की थी कि पीएम बाकी किसी भी पद से अलग है. अगर किसी आरोप के दबाव में कोई व्यक्ति इस्तीफा दे तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ता लेकिन पीएम ने इस्तीफा दे दिया, तो देश पर संकट आ सकता है.
इसपर शांति भूषण ने कहा कि अगर पीएम इस्तीफा दे दें तो कोई आफत नहीं आ जाएगी. पहले भी कुर्सी पर रहते हुए ही पीएम की मृत्यु हुई है. जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद गुलजारी लाल नंदा को कार्यवाहक पीएम बनाया गया और फिर लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री बनाया गया. शांति भूषण ने आगे कहा कि वैसे भी आरोप तो लगते रहते हैं. आरोपों भर से पीएम को इस्तीफा देने की कोई जरूरत नहीं है. इसपर अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि शांति भूषण जी आप बताइए कि क्या आप आरोप पर ऐसी आवाज नहीं उठाएंगे तो शांति भूषण ने जवाब दिया कि तब तो पीएम को अभी ही इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि उनके खिलाफ रोज आरोप लगते हैं.
लोकपाल की शक्तियों को लेकर टीम अन्ना से मतभेद रखनेवालों के पास उनकी खिंचाई के लिए और भी तर्क थे. बैठक में भालचंद्र मुंगेकर ने कहा कि वैसे तो अन्ना जी राजनीतिक शक्ति के विकेंद्रीकरण को बढ़ावा देते रहे हैं लेकिन, इस बिल में एक ही जगह सारी शक्ति को जोड़ देना चाहते हैं. मुंगेकर की इस टिप्पणी पर अभिषेक मनु सिंघवी ने भी कहा कि ये एक बहुत अच्छी बात कही आपने. अन्ना जी हमेशा से तो विकेंद्रीकरण के लिए लड़ते रहे लेकिन आज वो केंद्रीकृत शक्ति लोकपाल के लिए आवाज उठा रहे हैं.
बैठक में टीम अन्ना ने अब अपना सबसे बड़ा सवाल उठाया, सवाल उनकी मांगों वाला. अन्ना हजारे ने कहा कि संसद ने हमारी तीन मांगों लोकायुक्त, सिटीजन चार्टर और लोअर ब्यूरोक्रैसी को लोकपाल के लिए अपनी मंजूरी दी है. अरविंद केजरीवाल ने पूछा कि क्या बिल में इन तीन मुद्दों को शामिल किया जाएगा तो इसपर स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष अभिषेक मनुसिंघवी ने जवाब दिया कि वो सब बस सुझाव थे. आप कह रहे हैं कि अभी उन्हें शामिल करें लेकिन कमेटी को अभी पता नहीं कि वो शामिल होंगे या नहीं. शांति भूषण ने इसपर कहा कि मेरे ख्याल से कमेटी सदन का प्रस्ताव मानने के लिए बाध्य है. इसपर सिंघवी ने कहा कि हमलोग इसपर फैसला लेंगे, चिंता ना करें. जवाब में अरविंद केजरीवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने तो अन्ना हजारे को लिखी अपनी चिट्ठी में उन तीनों बिंदुओं को शामिल करने का भरोसा दिलाया था.
बहरहाल, 4 नवंबर की बहस तो उस दिन खत्म हो गई लेकिन स्टैंडिंग कमेटी अब तक इसपर कोई फैसला नहीं ले पाई है. अब ये सवाल तो उठेंगे ही कि अन्ना ने जो शीतकालीन सत्र तक की डेडलाइन दी है, उसका क्या होगा.