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UP में आलू आधारित उद्योग लगाने की कयावद शुरू

देश में सर्वाधिक आलू उत्पादन करने वाले उत्तर प्रदेश की सरकार ने सूबे में पैदा होने वाले अतिरिक्त आलू को उद्योगों में खपाकर किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए राज्य में आलू आधारित उद्योग लगवाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं.

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उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश

देश में सर्वाधिक आलू उत्पादन करने वाले उत्तर प्रदेश की सरकार ने सूबे में पैदा होने वाले अतिरिक्त आलू को उद्योगों में खपाकर किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए राज्य में आलू आधारित उद्योग लगवाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं.

राज्य सरकार को कोशिश है कि सूबे में हो रहे 40 लाख मिट्रिक टन अतिरिक्त आलू को उद्योगों में खपाया जा सके, जिससे बाजार में इसका दाम स्थिर रहे और किसानों को नुकसान न उठाना पड़े.

इसी सिलसिले में बीते दिनों उत्तर प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक रंजन ने प्रमुख उद्योगपतियों के साथ विचार विमर्श किया और उनके अपने उद्योग लगाने के लिए जल्द प्रस्ताव मांगे हैं.

राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आईएएनएस को बताया कि उद्यमियों ने सरकार से उद्योग लगाने के लिए करों में छूट, आसानी से बिजली कनेक्शन और बगैर बाधा के 24 घंटे बिजली की आपूर्ति की शर्त रखी है.

कृषि उत्पादन आयुक्त ने उद्यमियों को आश्वास्त किया कि जो निवेशक उत्तर प्रदेश में आलू आधारित उद्योग लगाने को उत्सुक हैं, वे अपने प्रस्ताव सरकार को दें. सरकार उद्योग लगाने में उन्हें हर संभव मदद देगी.

सरकार की तरफ से उद्यमियों को आश्वास्त किया गया है कि प्रदेश में जल्द नई खाद्य प्रसंस्करण नीति लागू की जाएगी. नीति में उद्यमियों को चिंताओं को शामिल करते हुए उनके समाधान की व्यवस्था की जाएगी.

उप-निदेशक (उद्यान) धर्मेंद्र पांडे ने बताया कि प्रदेश में प्रतिवर्ष औसतन 140 से 145 लाख मिट्रिक टन आलू की पैदावार होती है. इसमें से 100-110 लाख टन आलू को खप जाता है, लेकिन 30 से 40 लाख टन आलू बच जाता है. ऐसे में इसलिए प्रदेश में आलू आधारित उद्योग लगाने के लिए भरपूर संभावनाएं हैं.

पांडे ने कहा कि सूबे में आलू आधारित उद्योग लगने से किसानों के सामने औने पौने दामों में आलू नहीं बेचने की नौबत आएगी और उन्हें अपनी फसल का लाभकारी दाम मिलेगा जो अभी तक नहीं मिल पा रहा है.

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