उत्तर प्रदेश विधान परिषद ने राज्य लोकायुक्त तथा उप लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक 2012 को सिफारिश के साथ विधान सभा में वापस भेज दिया.
विधान सभा में पहले ही पारित हो चुके उत्तर प्रदेश राज्य लोकायुक्त तथा उप लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक 2012 को विधान परिषद में सूबे के राजस्व मंत्री अम्बिका चौधरी ने पेश किया.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राज्यपाल की स्वीकृति के साथ स्थापित एक अध्यादेश लायी थी, जिसमें लोकायुक्त के पास गलत शिकायतें करने वालों पर 50 हजार रुपए हरजाना लगाये जाने का प्रावधान भी था.
विपक्षी दल बहुजन समाज पार्टी (बसपा) इस पर एक संशोधन लायी थी जिसमें लोकायुक्त तथा उप लोकायुक्त के कार्यकाल को आठ वर्ष के बजाय पांच साल करने की बात कही गयी थी.
बसपा सदस्यों ने कहा कि सरकार उस अध्यादेश को लोकायुक्त का कार्यकाल समाप्त होने के सात दिन बाद लायी थी लिहाजा यह असंवैधानिक है. सदन में बसपा तथा विपक्ष के नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश राज्य लोकायुक्त तथा उप लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक 2012 जल्दबाजी में लाया गया है. इसमें कई खामियां हैं लिहाजा इसे सिफारिश के साथ विधानसभा के पास वापस भेजा जाए.
उसके बाद इस विधेयक को विधानसभा के पास वापस भेजने पर ध्वनिमत से निर्णय लिया गया.गौरतलब है कि विधानसभा ने इस विधेयक को गत 18 जून को पारित कर दिया था.